कल शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा सौंप दिया। अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में सबसे आगे अंबिका सोनी (Ambika Soni) का नाम चल रहा था। पिछले कुछ महीनों से पंजाब कांग्रेस में सियासी हलचल मचा हुआ था। ऐसा माना जा रहा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा दे देने से शायद पंजाब कांग्रेस का यह मामला शांत हो जाएगा। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बावजूद भी पंजाब कांग्रेस का यह सियासी हलचल रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
Ambika Soni ने ठुकराया पंजाब सीएम पद का ऑफर
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कांग्रेस हाईकमान भी अंबिका सोनी के हाथ में पंजाब की बागडोर सौंपने की इच्छा रखी थी। आपको बता दे 50 सालों से अंबिका सोनी (Ambika Soni) राजनीति में सक्रिय हैं। अब खबर आ रही है कि अंबिका सोनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री बनने से इनकार कर दिया है। जहां हर नेता किसी न किसी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने आप को देखते हैं वहां अंबिका सोनी का पंजाब मुख्यमंत्री के पद को ठुकरा देना अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
Ambika Soni ने क्यों ठुकराई सीएम की कुर्सी ?
सवाल यह है कि अंबिका सोनी ने पंजाब की बागडोर अपने हाथों में लेने से मना क्यों कर दिया? बात यह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद सबसे आगे 2 लोगों के नाम मुख्यमंत्री के रेस में आगे चल रहे थे। इसमें से एक नाम अंबिका सोनी का था, जबकि दूसरा नाम सुनील जाखड़ का बताया जा रहा है। खबरों के मुताबिक सिद्धू की ओर से सुनील जाखड़ के नाम पर आपत्ति जताई जा रही है। इसके बाद अंबिका सोनी को मुख्यमंत्री बनाने का सोचा गया। अब अंबिका सोनी ने खुद मुख्यमंत्री पद लेने से मना कर दिया है।
सिख को मुख्यमंत्री बनाने की बात Ambika Soni ने की
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान को अंबिका सोनी ने मुख्यमंत्री के पद ठुकराते हुए कहा कि वह इस वक्त मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहती हैं। आपको बता दें अंबिका सोनी (Ambika Soni) खत्री हिंदू हैं और उन्होंने सिख को मुख्यमंत्री बनाने की बात आलाकमान से कही है। अंबिका सोनी का कहना है कि पंजाब में सिख अगर मुख्यमंत्री नहीं होगा तो और कौन होगा। अंबिका सोनी ने अपने वक्तव्य में यह भी बताया कि वह पार्टी की लॉयल है और सम्मान करती हैं लेकिन वह मुख्यमंत्री पद नहीं संभालना चाहती।
Ambika Soni अभी दिल्ली में है
खबरों के मुताबिक ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी के कुछ सीनियर नेताओं ने भी अंबिका सोनी को मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए बार-बार कहा। अंबिका सोनी से यह भी कहा गया कि उनके नाम पर विधायक दल की बैठक में सहमति बन जाएगी। लेकिन अंबिका सोनी ने किसी की नहीं सुनते हुए इस पद को ठुकराने का फैसला किया है। अंबिका सोनी इस वक्त दिल्ली में है लेकिन वह चंडीगढ़ नहीं जाने वाली है।
अब सवाल यह है कि अंबिका सोनी का नाम ही सबसे आगे चल रहा था?
ऐसा माना जाता है कि अंबिका सोनी (Ambika Soni) का नाम सबसे आगे था, क्योंकि पंजाब में सिद्धू खेमा और कैप्टन खेमे के बीच में बैलेंस बनाए रखने का काम अंबिका सोनी बखूबी करती आई है। अंबिका सोनी 50 सालों से राजनीतिक कैरियर का अनुभव रखते हैं इसलिए वह एक मजबूत दावेदार के रूप में थी।
Ambika Soni का कोंग्रेस के साथ है पुराना रिस्ता
अंबिका सोनी गांधी परिवार की हर एक पीढ़ी से जुड़ी हुई हैं। अंबिका सोनी इंदिरा गांधी की राजनीति को देखते-देखते संजय गांधी के साथ भी काम किया और अब सोनिया गांधी के साथ भी काम कर रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पंजाब की राजनीति में एक ऐसी उम्मीदवार थी जो कैप्टन को तो संभाल ही सकती थी उसके साथ ही साथ अंबिका सोनी (Ambika Soni) सिद्धू को भी उनसे कोई परेशानी नहीं होने वाली थी।
सिख और हिन्दू की राजनीती साधने की थी कोशिश
अंबिका सोनी एक हिंदू है और नवजोत सिंह सिद्धू सिख और इस तरह से जाति राजनीति के मुताबिक पंजाब में सिखों और हिंदुओं का कांबिनेशन बन जाता। लिहाजा इससे पंजाब में हिंदू वोटरों को भी साधने की पूरी पूरी कोशिश की जाने वाली थी। लेकिन अब पंजाब की राजनीति में सियासी हलचल रुकने का नाम नहीं ले रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री पद के लिए जिसका नाम सबसे आगे था उन्होंने पद को लेने से ही मना कर दिया है। ऐसे में अब विधायक दल की बैठक को रद्द कर दिया गया है। अब देखने वाली बात यह है कि अब अगला फैसला किसके नाम पर होगा और विधायक दल की बैठक में नेता कौन चुना जाता है।