Astro Tips: घर में रोटी बनाने पर जरूर अपनाएं यह खास नियम,इन अवसरों पर गलती से भी नहीं बनानी चाहिए रोटियां

Astro Tips: किचन में रोटी सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। रोटी के ही लिए ही लोग दिन-रात खूब मेहनत करते हैं ताकि परिवार के पेट के लिए दो वक्त कि रोटी का इंतजाम कर सकें, लेकिन क्या आपको पता है कि ज्योतिष शास्त्र में रोटी को लेकर भी बहुत सारे नियम बताए गए हैं।

रोटी का महत्व

आप को पता ही होगा कि किचन में अन्नपूर्णा माता की कृपा बनाए रखने के लिए व्यक्ति दिन-रात कड़ी मेहनत करता है। जिससे कि परिवार का पेट भर सके , साथ ही साथ तीन पहर की रोटी का इंतजाम कर सके।ऐसा कहा जाता है कि रोटी के बिना व्यक्ति का भोजन अधूरा होता है। लेकिन आपको बता दें कि रोटी बनाने को लेकर भी ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपायों के बारे में भी बताया गया है। शास्त्रों में कुछ ऐसे मौकों का जिक्र किया गया है, जिनमें रोटी बनाना वर्जित माना गया है। आज हम आपको ऐसे ही मौकों को बारे में बताएंगे।

परिवार में किसी की मृत्यु होने पर

आपको बता दें कि शास्त्रों में हर चीज को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं। इसी तरह से रोटी बनाने को लेकर भी कई नियम बताए गए हैं। इसमें से एक घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर रोटी बनाने के बारे में भी बताया गया है। ऐसा कहते हैं कि अगर परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो घर में रोटियां बिल्कुल भी नहीं सेंकनी चाहिए , और तेहरवीं संस्कार के बाद ही रोटी सेंकनी चाहिए। ये भी कहा जाता है कि अगर कोई ऐसा करता है, तो मृत इंसान के सूक्ष्म शरीर पर फफोले पड़ने लग जाते हैं।

नागपंचमी पर नहीं बनानी चाहिए रोटी

शास्त्रों में ऐसा भी लिखा है कि नागपंचमी के दिन भी किचन में रोटी बनाने से परहेज करना चाहिए।आपको बता दें कि इस दिन खीर, पूड़ी और हलवा जैसी चीजों को ही खाना चाहिए।ऐसा कहा जाता है कि नागपंचमी के दिन चूल्हे पर तवा रखने की एकदम मनाही होती है। तवे को नाग के फन का प्रतिरूप माना जाता है, और इसलिए नागपंचमी पर तवा अग्नि पर नहीं रखना चाहिए।

शीतलाष्टमी के दिन

आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शीतलाष्टमी पर माता शीतला देवी की पूजा का विधान है, और इस दिन मां को बासी खाने का भोग लगाने की मान्यता है।आपको बता दें कि मां को भोग लगाने के साथ खुद भी बासी खाना ही खाया जाता है, और इस दिन सूर्योदय से पहले ही माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है फिर इसे ही प्रसाद के रूप में ग्रहण भी किया जाता है।

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