मेजर संदीप उन्नीकृष्णन क़े शौर्य, पराक्रम और सुप्रीम सैक्रिफाइस की कहानी कहती है ये फिल्म। हमारे लिए आर्ट से ज्यादा इमोशन है एक ऐसे लड़के की कहानी जिसके सपने इतने ज्यादा थे लेकिन पड़ोसी मुल्क के गीदडो की वजह से हमने हिंदुस्तान का एक शेर को दिया। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन कौन थे यें जानना है तो पूछिए 26-11 हमले के दौरान घायल हुई ताज होटल की उन दीवारों से जो आपको बताएंगी कि सिर्फ 10 जवानों के साथ वों कैसे अंतिम सांस तक आतंकियों से लड़े। पूछए उनके कमांडर संदीप यादव को लगी उस गोली से जिनको बचाने के लिए उन्होंने अकेले आतंकियों से लड़ने का फैसला किया। इंडियन आर्मी के सबसे मुश्किल घातक ओर से जिसकी ट्रेनिंग में उन्होंने टॉप किया था या पूछिए (NSG-51) स्पेशल एक्शन ग्रुप से जिसके कमांडर होते हुए उन्होंने आखरी समय भी टेररिस्ट से लड़ते हुए टीम से यें बोला था कि ” do not come up‚ I will handle them’ जो किरदार इतना बड़ा हो तो वों कंधे मजबूत होनें बेहद जरूरी है जो इस किरदार को संभालने निकले है। आदिवासी शेषो, सई मांजरेकरो, शोभिता धूलिपाला, प्रकाश राज, मुरली शर्मा जैसे स्टार्स की यें फ़िल्म उसी कहानी के वजन को अपने साथ लेकर चल रही है।
मेजर ट्रेलर में क्या कुछ है ? क्या है सच्चाई
ट्रेलर की शुरुआत होती है एक आर्मी सीनियर की उस डांट से जहां वों पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर में जाने के लिए मेजर संदीप उन्नीकृष्णन कों डांटते हुए कहते हैं कि तुम उस तरफ क्यों गए यें हमारी तरफ और वों उनकी। इसके बाद जो उनका जवाब आता है वों हर हिंदुस्तानी के दिल से निकलने वाली आवाज है कि सर हमारा तो ही है सर यें उस किरदार के बारे में बताता हुआ एक छोटा सा हिंट है। इसके बाद ट्रेलर एक मा, एक बीबी, एक पिता और एक सिपाही प्वाइंट आफ व्यू से बताने की कोशिश करता है कि एक सोल्जर बनने की चॉइस कितने लोगों पर सीधा असर डालती है। ज़ब एक सोल्जर का बलिदान होता है तो उसके साथ बलिदान होती है एक मां की कोख, एक बहन की राखी, एक पिता के सपने और देश की उम्मीद। इस कहानी का हीरो रील नहीं रियल है. उतना ही रियल जितना मेरे और आपके रगों में बहता खून। इसके प्रोड्यूसर नें साउथ के सुपर स्टार महेश बाबू और इसके हिंदी, तेलुगू और मलयालम लैंग्वेज के ट्रेलर कों सलमान खान, महेश बाबू और मलयालम इंडस्ट्री के पृथ्वीराज ने लांच किया था। पूरी फिल्म आपको 26-11 की उस काली रात के बारे में बताती हैं. जब पूरी दुनिया पड़ोसी मुल्क के नंगे आतंकी नाच को देख रही थी। फिल्म का बैक-ग्राउंड म्यूजिक अमेजिंग लगता है. डायलॉग और 1 लाइनेस एकदम सही जगह पर फिट किए गए है। ओवर ऑल एक पैकेट के रूप में यें फिल्म आपको अपनी तरफ खींचती है।