भारी- भरकम ऑनलाइन डिस्काउंट पर लगातार विरोध कर रहें। व्यापारी संगठनो नें अब इ-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल लिया है। व्यापारीयों का दावा है, दुकानदारों क़े साथ ये कंपनिया GST में भी हेरा-फेरी करके सरकार क़ो नुकसान पंहुचा रही है।
ई-कॉमर्स कंपनियों GST विभाग से जांच अपील?
ऐसे में अब व्यापारियों ने केंद्र सरकार के साथ-साथ सभी राज्यों से मांग की है। ई-कॉमर्स पोर्टल पर मिल रही 10 से 80 फ़ीसदी की छूट पर की जांच की जाये इसके लिए सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर इ-कॉमर्स पोर्टल छूट नीति को लेकर GST विभाग से जांच करने की अपील की गई है। साथ में देश में इ-कॉमर्स नियम लागू करने क़े लिए मुख्यमंत्रियो क़े समर्थन मांगा गया है। व्यापारी संगठनो का कहना है, बड़ी इ-कॉमर्स कंपनिया अपने इ-कॉमर्स पोर्टल पर बेचे जाने वाले समानो क़े कीमतों क़ो कृत्रिम रूप से घटाकर सरकार को मिलने वाली GST में कमी की वजह बन रही है। व्यापारी संगठनों के मुताबिक उपभोक्ता संरक्षक अधिनियम के तहत सरकार के प्रस्तावित नियम इ-कॉमर्स नियमों को भी तुरंत लागू किए जाने की जरूरत है।
इ-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ क़े व्यापारी संगठनो नें खोला मोर्चा?
और इसके लिए मुख्यमंत्रियों से समर्थन की जरूरत है। इससे देश में मौजूद इ-कॉमर्स व्यापार पर चंद ई-कॉमर्स कंपनियों एकाअधिकार को मुक्त किया जा सकेगा। व्यापारी संगठनों का आरोप है, कि इ-कॉमर्स नीति में (FDI) नीति के तहत विदेशी कंपनियां केवल बिजनेस टू बिजनेस क़े व्यापार के लिए अधिकृत है। जबकि वो इस नियम का उल्लंघन करके बिजनेस टू कंज्यूमर बिक्री कर रही है। व्यापारी संगठनों का कहना है, भले ही नीति बनाना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। लेकिन व्यापार राज्यों में होता है, ऐसे में राज्यों को छोटे व्यापारियों और ग्राहकों को इन कंपनियों के चंगुल से मुक्त कराने और निष्पक्ष इ-कॉमर्स व्यापार सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार से तुरंत बात करनी चाहिये मिसाल के तौर पर अगर बाजार में किसी मोबाइल की असल कीमत 1,0000 रुपए है। तो सरकार को 10,000 पर ही GST मिलेगा। जबकि इन कंपनियों के पोर्टलो पर उसी मोबाइल को कम क़ीमत पर बेचा जाता है। अगर 10,000 का मोबाइल 6,000 में बेचा जाएगा, सरकार को बतौर GST कम रकम मिलेगी। व्यापारी संगठनों ने हैरानी जताई है। इस हेराफेरी पर केंद्र सरकार या किसी भी राज्य सरकार नें सवाल क्यों नहीं किया है।