आज पंजाब को एक नया मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के रूप में मिल गया है। पिछले कई महीनों से पंजाब कांग्रेस में घमासान जारी था। उस घमासान के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह दो खेमे में पंजाब कांग्रेस का बटवारा हो गया है।
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नवजोत सिंह सिद्धू के गुगली पर अमरिंदर हुए आउट
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पंजाब का अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को बनाया गया है और उनके कांग्रेस अध्यक्ष बनने के कुछ दिनों बाद ही मुख्यमंत्री की कुर्सी अमरिंदर सिंह को गंवानी पड़ी। उनके इस्तीफा देने के बाद से कई सारे नाम सामने आए जिसके बाद अंत में चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया और उन्होंने आज शपथ भी ले ली।
पंजाब की राजनीती में हुए बड़े उलटफेर से मायावती की बढ़ी मुश्किलें
पंजाब की राजनीति में हुए बड़े उलटफेर की वजह से उत्तर प्रदेश की पार्टी बसपा की सुप्रीमो मायावती के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। आगामी चुनाव को देखते हुए मायावती ने दलित मतदाताओं से अपील की थी कि वे कांग्रेस की तरफ न झुके। ऐसे में कांग्रेस ने पंजाब में कुछ महीनों के लिए ही सही मगर दलित को मुख्यमंत्री (Charanjit Singh Channi) की कुर्सी सौंप कर मायावती के इन मंसूबों पर पानी फेरने का काम किया है।
पंजाब में दलित वोटरों के लिए मयावती ने चली थी चाल
मायावती पंजाब में दलित वोट बैंक की राजनीति करने के लिए राजनीतिक समीकरण बना रही थी। मायावती की भी नजर आने वाले विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई थी जिसको लेकर उन्होंने मतदाताओं से अपील किया था कि वे कांग्रेस की तरफ न झुके। पंजाब में अपने राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने के लिए मायावती ने अकाली दल के साथ गठबंधन किया था। जातीय राजनीतिक समीकरण उसी पर निर्भर करता है कि कौन सा वर्ग किस पार्टी की तरफ झुक रहा है।
Shri Charanjit Singh Channi has taken oath as the new Chief Minister of Punjab and Shri @RahulGandhi attended the oath taking ceremony and congratulated him.#कांग्रेस_दे_नाल_पंजाब pic.twitter.com/UnORjQtFUN
— Punjab Congress (@INCPunjab) September 20, 2021
Charanjit Singh Channi को मुख्यमंत्री बनकर कांग्रेस ने चली बड़ी चाल
2022 के चुनाव में SC मतदाता 2017 की तरह से महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले हैं। इसी के वजह से SC मतदाताओं को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने स्तर से कवायद शुरू कर दी थी। लेकिन कांग्रेस ने चन्नी (Charanjit Singh Channi) को मुख्यमंत्री बना कर एक नई चाल चल दी है जिससे कई राजनीतिक पार्टियों में बेचैनी बढ़ गई है जिसमें सबसे बड़ा नाम मायावती का है। मायावती ने बयान दिया कि कांग्रेस पार्टी बसपा और अकाली दल के गठबंधन से घबरा गई इसलिए उनको दलित मुख्यमंत्री बनाना पड़ा।
मायावती ने अकाली दल के साथ किया था गठबंधन
आपको बता दें इसी साल शिरोमणि अकाली दल और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन किया था। इस गठबंधन में तय हुआ कि दोनों पार्टियां मिलकर आने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इस गठबंधन के दौरान सीटों का बंटवारा हुआ जिसमें 177 सीटों में से 20 सीटों पर बसपा जबकि बाकी 97 सीटों पर शिरोमणि अकाली दल चुनाव लड़ेगी।
अकाली दल और बसपा का रिस्ता है पुराना
यह कोई नई बात नहीं है कि बसपा के साथ शिरोमणि अकाली दल का गठन हुआ था इससे पहले अगर 25 साल पूर्व की बात करें प्रकाश सिंह बादल, कांशी राम के साथ मिलकर गठबंधन किया था और यह दोनों राजनीतिक पार्टियां 1996 में मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ी थी गठबंधन के दौरान 13 सीटों में से 11 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
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