आज कल देश में कोरोना के बढ़ते मामले के साथ – साथ मरीजों के मौत के आकड़े बढ़ने लगे है जिसके चलते श्मशान घाटों पर जगह काम पड़ रही है। सरकारी आकड़े जो कुछ भी बता रहे हो लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। और लाशों के लिए शमशान में जगह नहीं मिलती , लम्बी लम्बी कतारें लगी रहती है। कुछ दिन पहले बिहार की नदी में बहती लाशें मिली थी। अब यूपी में ऐसी ही खबरें आ रही है। बिहार के बक्सर में लाशें मिली थी अभी उसकी जांच पूरी हुई नहीं की यूपी के गाजीपुर में भी गंगा घाट से कुछ दुरी पर 52 लाशें मिलने से खलबली मच गयी है। लोगो का मानना है की बिहार में मिली लाशें भी यूपी से ही बहकर गयी होगी। क्योकि यह नदी गाजीपुर ,बलिया होते हुए ही बक्सर को जाती है इस लिए ये आशंका जताई जा रही है ये सभी लाशें यूपी से बहकर बिहार गयी है। लोगो ने बताया की देर रात प्रशासन ने वहांकुछ लाशें दफ़न की थी जिनकी संख्या करीब 85 होगी ,लेकिन प्रशासन का कहना है की उन्होंने सिर्फ 24 लाशे ही दफ़न की थी। बीते सोमवार को बिहार के चौसा शमशान घाट पर 71 लाशें मिली थी।
उन ससभी लाशोंके डीएनए सैंपल और कोविद सैंपल टेस्ट के लिए भेज दिए गए है। वही बक्सर और गाजीपुर के डीएम आपस में उलझ गए है और इन लाशों को अपने यहां के होने से साफ़ इनंकार किया है। कुछ दिन पहले कानपुर यमुना नदी में भी 3 लाशें मिलने की खबर आयी थी। बाद में स्थानीय पुलिस ने उन लाशों का अंतिम संस्कार करवाया और घाट पर पुलिस की तैनाती कर दी। लेकिन अभी तक उन लाशों के बारें में यह पता नहीं चल सका है की वे लाशें किसकी है और कहा से बहकर वो आई थी।
कानपुर ,उन्नाव के श्मशान घाटों पर लकड़ियों की कमी के चलते लोग अपने परिजनों की लाशों को दफ़न करना शुरू कर दिए है। इस तरह की आय दिन खबरें आती रहती है की हिंदू लोग अपने रीतिरिवाज को भूल कर लाशें दफ़न कर रहे है।