भारत में अभी डेंगू के संक्रमण फैला रहे हैं, लेकिन अफ्रीका में एक बेहद खतरनाक मामला सामने आया है। अफ्रीका में ड्रग रेजिस्टेंस मलेरिया (Drug Resistance Malerial New Strain) के मामले मिल रहे हैं। ड्रग रेजिस्टेंस मलेरिया (Drug Resistance Malerial New Strain) का मतलब यह है कि एक खास तरह की मलेरिया की स्ट्रेन पाई जा रही है जिस पर कोई भी दवा काम नहीं कर रही है।
Drug Resistance Malerial New Strain युगांडा में मिले
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इस खतरनाक मलेरिया के स्ट्रेन (Drug Resistance Malerial New Strain) के प्रमाण अफ्रीका के युगांडा में पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह चिंता करने वाली बात है कि मरीजों पर कोई भी मलेरिया की दवा काम नहीं कर रही है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कोई भी दवा इस मलेरिया के स्ट्रेन Drug Resistance Malerial New Strain को रोकने में कामयाब नहीं हो रही है।
20 फीसदी तक मलेरिया के स्ट्रेन में हुआ है जेनेटिक म्यूटेशन
शोधकर्ताओं ने बताया कि युगांडा में मलेरिया के मरीजों का इलाज सबसे ज्यादा जिस दवा से किया जाता है उसका नाम है आर्टिमीसिनिन। मरीजों के ब्लड सैंपल लिए गए जिसमें 20 फ़ीसदी तक सैंपल में जेनेटिक म्यूटेशन की बात सामने आई है। इसका मतलब यह है रिपोर्ट के मुताबिक मलेरिया के वायरस ने अपनी संरचना में इतना बदलाव किया की उस पर कोई भी दवा काम नहीं कर रही है।
दुनिया भर से 90 फीसदी मामले अकेले अफ्रीका से आते है
आपको बता दें इससे पहले एशिया में भी ड्रग रेजिस्टेंस मलेरिया (Drug Resistance Malerial New Strain) के मामले मिल चुके हैं। लेकिन अब ऐसे मामले सामने आना एक चिंता का विषय है क्योंकि दुनिया भर में 90 फ़ीसदी तक मलेरिया के मामले अकेले अफ्रीका से ही आते हैं। ऐसा हो सकता है कि अगर इसके मामले फैले तो मलेरिया को काबू करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी अभी दुनिया कोरोना से लड़ रही है और ऐसे में ये एक नई मुसीबत हो सकती है।
मलेरिया का नया स्ट्रेन कही बाहर से नहीं आया है
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में बुधवार को एक छपी एक रिसर्च बताती है कि मलेरिया के आसपास वाले बॉर्डर में फैल सकता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि मलेरिया के नए स्ट्रेन (Drug Resistance Malerial New Strain) के युगांडा में विकसित होने की आशंका है। शोधकर्ताओं का मानना है कि मलेरिया का यह स्ट्रेन बाहर से नहीं आया है। सैन फ्रांसिस्को किंग कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर डॉक्टर फिलिप रोजेनथल के मुताबिक रवांडा के बाद युगांडा में मलेरिया के ऐसे मामले मिलना इस बात को पुष्टि करता है कि यह अफ्रिका में अपनी मजबूत पकड़ बना रहा है।
इससे पहले कम्बोडिया में मिला था Drug Resistance Malerial New Strain
मलेरिया के ड्रग रेजिस्टेंस स्ट्रेन (Drug Resistance Malerial New Strain) कुछ साल पहले कंबोडिया में भी मिला था जो एशिया तक पहुंच गया था। ऐसे में इस तरह के स्ट्रेन का अफ्रिका में फैलना भविष्य में चिंताओं को बढ़ाने का काम कर सकता है। हर साल मलेरिया के कारण 4,00,000 से अधिक लोग दम तोड़ देते हैं। सबसे ज्यादा खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को होता है।
वर्ड मलेरिया की रिपोर्ट क्या कहती है?
वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट 2020 के अनुसार मलेरिया से होने वाली 90 फ़ीसदी मौत सिर्फ अफ्रीका में होती है जिसमें 2,65,000 से अधिक बच्चे शामिल है। 2000 में मलेरिया के 7,30,000 मामले मिले थे जो 2018 में घटकर 4,11,000 तक पहुंच गए थे। लेकिन 2019 में मलेरिया के 4,09,000 मामले सामने आए थे।
चीन मलेरिया से मुक्त होने के लिए लागू किया था 1-3-7 की रणनीति
चीन भी 70 सालों की लगातार कोशिश के बाद मलेरिया मुक्त हुआ है। मलेरिया मुक्त होने के लिए चीन ने 2012 में 1-3-7 की रणनीति लागू की थी। इस रणनीति के मुताबिक 1 दिन के अंदर मलेरिया के मामलों को रिपोर्ट करना अनिवार्य किया गया। 3 दिन के अंदर इस मामले की पड़ताल करना और इससे होने वाली खतरे का पता लगाना जरूरी किया गया। वहीं 7 दिन के अंदर इन मामलों को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की बात की गई थी। इस 1-3-7 रणनीति के जरिए चीन मलेरिया मुक्त हो गया।
दुनिया को चीन से सीखनी की है जरूरत
मलेरिया के खिलाफ चीन में 1950, 1967, 1988 और 1990 में कदम उठाए गए। 1990 में मलेरिया के मामले में 1,17,000 हो गए थे जबकि मौत के आंकड़ों में 95 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी। ऐसे में अब चीन से दुनिया को मलेरिया की रणनीति से सीख लेनी होगी और खास तौर पर अफ्रीका जैसे देशों में इस रणनीति को अपनाकर मलेरिया के प्रकोप से बचने की जरूरत है।
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