साइबर ठगों ने खोजा नया तरीका
दुनिया में तमाम लोग फेसबुक और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। लोग अपने खाली समय में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ही अपने दोस्तों से बात करने और फोटो वीडियो को शेयर करने में ही निकालते हैं। ऐसे में साइबर ठगों ने इन एप के जरिए लोगों को ठगना शुरू कर दिया है। इस ठगी को करने लिए स्कैमर्स ने ई-कॉमर्स की जैसी ही दिखने वाली फर्जी साइट को बनाया और इसका विज्ञापन फेसबुक पर करने लगते हैं।
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फेसबुक से समान खरीदने वाले रहे सचेत
स्कैमर्स इसको इस बात की पूरी जानकारी है की फेसबुक इन ई-कॉमर्स वेबसाइट को रोक नहीं पाएगा और इस ऐड को देखने वाले लोग धड़ल्ले से शॉपिंग के लिए उस पर क्लिक करते हैं और ठगी का शिकार बन जाते हैं। अगर आप भी फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए खरीदारी करते हैं तो आपको सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि आप भी उन लोगों का कहीं शिकार ना बन जाए। आपको बता दें फेसबुक आपके बिहेवियर को ट्रेस करता है और उसके अनुसार ही आपके प्रोफाइल पर विज्ञापन देता है।
कैसे होती है ठगी ?
एक छोटे से उदाहरण से समझें तो अगर आप किसी कपड़े या फल या सब्जी के बारे में सर्च करते हैं तो फेसबुक और इंस्टाग्राम आपको उसी से मिलता जुलता विज्ञापन दिखाने लगते हैं। इन विज्ञापनों के बीच में असली और नकली कंपनियां दोनों होती हैं और विज्ञापन दिखाते हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर नकली और स्कैम करने वाले विज्ञापनों की भरमार है।
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यह दोनों विज्ञापन बिल्कुल ब्रांडेड की तरह से ही दिखते हैं। कई बार फेसबुक पर दिख रहे ऐड को लोग असली मानकर उसकी पर खरीदारी कर लेते हैं। यूजर सामान का आर्डर करते हैं और पेमेंट कर देते हैं। पेमेंट हो जाने के बाद आपके इंतजार का सिलसिला शुरू हो जाता है ,और जब आप उस साइट पर दिए गए नंबर पर फोन करते हैं ।तो वह नंबर नहीं लगता है। जब तक आप कुछ समझते तब तक आपके साथ धोखा हो चुका होता है।
फर्जी और असली विज्ञापन की पहचान कैसे करेंगे?
इन दोनों विज्ञापनों के बीच में असली और नकली का फर्क समझना बेहद ही मुश्किल काम है लेकिन अगर आप थोड़ा सा सचेत और सावधानी बरतें तो इन दोनों में पहचान कर ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं। कोई पोस्ट आपको विज्ञापन जैसा लगता है और वह अगर स्पॉन्सर्ड पोस्ट नहीं लिखा है तो वह फर्जी की कैटेगरी में हो सकता है।
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फेसबुक जितने भी विज्ञापन एक्सेप्ट करता है उसको लेकर थोड़ी वेरिफिकेशन किए जाते हैं ताकि यह समझा जा सके कि वह स्कैम नहीं है। इसलिए इन सभी ई-कॉमर्स कंपनियों पर स्पॉन्सर्ड का विज्ञापन लिखा होता है। जिन विज्ञापनों पर स्पॉन्सर्ड लिखा होगा वह स्कैम वाला विज्ञापन नहीं होता है। हालांकि इनमें भी फ्रॉड होने की गुंजाइश होती है लेकिन बेहद कम होती है। अगर आप रिपोर्ट करते हैं तो फेसबुक 26% से भी कम एड्स को हटाता है। जबकि फेसबुक दावा करता है कि जैसे ही उसको स्कैम ऐड का रिपोर्ट आता है वह तुरंत ही उसको हटा देता है।
इसपर फेसबुक कोई कार्यवाही क्यों नहीं करता ?
फेसबुक भले ही कुछ भी कहता रहे, कुछ भी दलीलें देता रहे लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी उसके इस फेसबुक और इंस्टाग्राम से लोगों की ठगी होती जा रही है। यूजर्स नकली और असली विज्ञापन पर ध्यान नहीं दे पाता और समझ नहीं पाता, इसलिए ठगी का शिकार होता चला जाता है। फेसबुक को चाहिए कि ऐसे विज्ञापनों के लिए कायदे से बैकग्राउंड वेरीफिकेशन करें ताकि फर्जी विज्ञापन के चांस कम होते जाएं। आपको बता दें फेसबुक इन विज्ञापनों से बहुत ही ज्यादा पैसा कमाता है और यह एक प्राइवेट कंपनी है।
जाहिर है पैसा कमाने के लिए कंपनी कभी-कभी यूजर्स के हितों को दरकिनार कर ही देती हैं। क्योंकि प्राइवेट कंपनियों का वसूल है पैसा कमाना और वह उसके लिए इस तरह के हथकंडे जरूर अपना सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी और फेसबुक इंस्टाग्राम से खरीदारी करते समय थोड़े सचेत रहने की जरूरत है।
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