Wheat Import: क्या विदेश से गेहूं आयात करेगा भारत, जानें पूरी सच्चाई |

भारत में बीते दिनों गर्मी ज्यादा बढ़ने से गेहूं उत्पादन पर असर पड़ा था। इस दौरान कई मीडिया रिपोर्ट में यह बताया जा रहा था कि भारत विदेश से गेहूं का आयात करने के बारे में सोच रहा है? इन सभी कयासों पर खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने विराम लगा दिया है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने इस पर ट्वीट करते हुए लिखा है भारत में गेहूं आयात करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। हमारी घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम के पास भी सार्वजनिक वितरण के लिए पर्याप्त स्टॉक है। भारत के गेहूं आयात करने वाली खबर ने सबको चौंका दिया था रूस और यूक्रेन के बीच जारी युग के कारण विश्व में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया था कि भारत दुनिया को खिलाने को तैयार है। ऐसे विदेशों से गेहूं आयात करने की खबरें सामने आने से हर कोई हैरान था जिनका खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने खंडन किया है।

विदेश से गेहूं आयात की खबरों का सरकार ने खंडन किया है

वहीं सरकार ने कृषि मंत्रालय द्वारा जारी अपने नए एस्टीमेट में कहा कि दुनिया के सबसे बड़े अनाज उत्पादक ने 2022 में 106.84 मिलीयन टन गेहूं की कटाई की जो पिछले एस्टीमेट 106.4 एक मिलियन टन से थोड़ा ज्यादा है। इससे पहले भारत ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। पिछले दिनों वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि दुनिया भर में अनिश्चितता बनी हुई है ऐसे में अगर हम निर्यात शुरू कर देते हैं तो जमाखोरी की आशंका बढ़ सकती है। इससे उन देशों को कोई लाभ नहीं होगा जिन्हें अनाज की जरूरत है हमारे इस फैसले से वैश्विक बाजारों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वैश्विक बाजार में भारत का निर्यात 1 फ़ीसदी से भी कम है।

13 मई को भारत सरकार ने गेहूं निर्यात पर रोक लगा दी थी

सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने की अपने इस निर्णय के लिए गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक वृद्धि और भारत की खाद्य सुरक्षा पर इसके प्रभाव का हवाला दिया था। इस आदेश में कहा गया कि भारत सरकार अपने देश के साथ साथ पड़ोसी व अन्य विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है जो गेहूं की वैश्विक कीमतों में आए अचानक बदलाव और गेहूं की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण प्रभावित हो रहे हैं। भारत सरकार के इस फैसले के पीछे की वजह रूस-यूक्रेन यूज के वैश्विक स्तर पर खाद्य संकट को भी माना जा रहा था।

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