ISRO के वैज्ञानिकों ने किया अनोखा शोध, मंगल पर भवन तैयार करेगा बैक्टीरिया से बना ईट, जाने इसकी ख़ासियत।

बीते कई सालों से वैज्ञानिक मंगल ग्रह और चांद पर शोध करने में लगे है कि वहां इंसानों को कैसै बसाया जाए. इंसान को मंगल ग्रह और चांद पर बसने के बाद किन मूलभूती सुविधाओं की जरूरत होगी इसका भी शोध हो रहा है. शोध के इस क्रम में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) और इंस्टीट्यूट ऑफ सांइस (IISc) ने बड़ी उपल्बधि हासिल की है. ISRO और IISc ने मिलकर एक खास तरीके की ईट को तैयार करने में सफलता हासिल की है. इस ईट का इस्तेमाल कर मंगल ग्रह पर घर तैयार करने में मदद मिलेगी. प्लॉस वन जर्नल में छपी ISRO की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.

यह भी पढ़े: Power Crisis In India : कोयले की कमी गर्मी में कर सकती है आपकी बत्ती गुल, 7 राज्यों में गहरा रहा है बिजली का संकट।

ISRO ने कैसे तैयार की है यह ख़ास ईट ?

भारतीय वैज्ञानिकों (ISRO) ने इस खास ईट को तैयार करने के लिए एक खास प्रकार के बैक्टीरिया की मदद ली है. इस खास वैक्टीरिया का नाम है स्पोरोसारसीना पेस्टुरी. वैज्ञानिकों ने इस बैक्टीरिया को मंगल ग्रह से लाई गई मिट्टी, यूरिया, ग्वार गम और निकल क्लोराइड के साथ मिलाया. वैज्ञानिकों ने इन सभी चीजों का एक मिश्रण तैयार कर ईट का आकार दे दिया. इस मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया ने यूरिया को कैल्शियम कार्बोनेट के क्रिस्टल के रूप में बदला और ईट को पूरी तरह से सख्त बना दिया.

ISRO
MARS NEWS

यह भी पढ़े: Boris Johnson In India : JCB पर सवार हुए ब्रिटेन के पीएम, सोशल मीडिया पर लोग दे रहे है मजेदार प्रतिक्रिया।

2020 में भी हो चुका है शोध

अगस्त 2020 में वैज्ञानिकों ने एक और ऐसा ही प्रयोग किया था, जिसमें चांद की मिट्टी पर शोध किया गया था. शोधकर्ताओं के मुताबिक चांद की ईट को बनाने के लिए जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया उसके जरिए सिर्फ बेलनाकार ईट ही बनाई जा सकती थी. लेकिन इस बार जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल वैज्ञानिकों (ISRO) ने किया है उसके जरिए कई आकार की ईटें तैयार किए जा सकते हैं.

यह भी पढ़े: Delhi School Corona Guidelines: हर स्कूल में होगा क्वारटाइन रूम, जाने नई गाइडलाइंस?

आईआईएससी (IISc) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और शोधकर्ता आलोक कुमार ने बताया मंगल ग्रह से लाई गई मिट्टी से ईट को विकसित करना बेहद कठिन काम था. प्रोफेसर कुमार के मुताबिक मंगल ग्रह से लाई गई मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की मात्रा बेहद ज्यादा थी. इस प्रकार की मिट्टी में वैक्टीरियों का पनपना बेहद मुश्किल हो जाता है. इसलिए हमने मंगल ग्रह की मिट्टी में हमने निकल क्लोराइड मिलाया ताकि यह मिट्टी वैक्टीरियों के पनपने के लिए अनुकूल बन सके.

धरती के वातावरण और मंगल ग्रह के वतावरण में क्या है फर्क?

खबरों के मुताबिक वैज्ञानिकों ने अभी इस ईट का सिर्फ एक प्रोटोटाइप तैयार किया है और आगे की रिसर्च अभी भी की जा रही है. शोधकर्ता अभी इस बात की शोध में लगे हैं कि उनके द्वारा तैयार यह ईट क्या मंगल ग्रह के वातावरण में टिक पाएगी? पृथ्वी की तुलना में मंगल ग्रह के वातावरण में बहुत ज्यादा अंतर होता है। मंगल ग्रह पर कार्बन डाइऑक्साइड, परक्लोरेट्स की मात्रा ज्यादा होती है और वहां धरती की तुलना में ग्रेविटी बेहद कम होती है. शोधकर्ताओं ने बताया इस ईट को बनाने के लिए शामिल किए गए बैक्टीरिया पर मंगल ग्रह के वातावरण में असर हो सकता है जिसको लेकर अभी आगे की शोध जारी है.

यह भी पढ़े: Loudspeakers controversy: CM Yogi Adityanath सख्त, जाने क्या है आदेश?

Leave a Comment

नरेंद्र मोदी की माँ का निधन कब हुआ? | Heera Ben Ka Nidhan Kab Hua कर्नाटक के मुख्यमंत्री कौन है?, Karnataka Ke Mukhya Mantri kon Hai, CM Of Karnataka कर्नाटक के बिजली मंत्री कौन है? , Karnataka Ke Bijli Mantri Kon Hai, Electricity Minister Of Karnataka पश्चिम बंगाल में Bikaner Express के 12 डिब्बे पटरी से उतरे विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश (Assembly elections Uttar Pradesh)