कोरोना वायरस के नए-नए रूप के बारे में सब जानकारियां मिल रही हैं। पहली बार देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कप्पा वैरिएट मिला है। इस वैरिएट को वैरिएट ऑफ इंटरेस्ट घोषित कर दिया गया है। कोरोना वायरस के नए-नए रूपों के बारे में बात करें तो इसके डेल्टा, डेल्टा प्लस और अब कप्पा वैरिएट (Kappa Varient) की पुष्टि की गई है।
गोरखपुर में मिला Kappa Varient
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज से प्रशासन ने इस मामले की पूरी जानकारी मांगी है। इस नए वैरिएट से संक्रमित हुए लोगों का नाम पता सहित सभी ब्यौरा भी मांगा गया है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमरेश सिंह के मुताबिक पहली बार उत्तर प्रदेश में कोरोना वैरिएट का कप्पा वैरिएट पाया गया है।
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यह कप्पा वैरिएट B.1.617 वंश के म्यूटेशन से ही पैदा हुआ है। देश में डेल्टा वैरिएट के लिए भी B.1.617 ही जिम्मेदार है। जानकारी के मुताबिक अब तक B.1.617 एक दर्जन से ज्यादा म्यूटेशन कर चुका है। इस वैरिएट में दो खास हैं E484Q और L452R जिसके वजह से इसको डबल म्यूटैंट वायरस भी कहा जा रहा है। B.1.617 जैसे जैसे अपने आप को विकसित करेगा नई-नई वंशावली भी अपने साथ तैयार करेगा।
B.1.617.2 को डेल्टा वैरिएट के नाम से जाना जा रहा है और भारत में दूसरी लहर का भी जिम्मेदार यही है। इसके दूसरे वंश को B.1.617.1 को कप्पा वैरिएट (Kappa Varient) कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अप्रैल महीने के दौरान इस वैरिएट को वैरिएट आफ इंटरेस्ट घोषित कर दिया था। कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएट को बेहद खतरनाक माना जा रहा है और भारत में इसको वैरिएट आफ कंसर्न घोषित किया है गया है।
115 बार सैंपल जांच के लिए भेजे गए।
रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर और माइक्रोबायोलॉजी ने 115 बार सैंपल को जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा था। इन सैंपल की जांच हर बार नहीं हो पा रही थी जिसके वजह से वायरस के नए वैरिएट की जानकारी नहीं मिल पा रहे थे। अप्रैल और मई के बाद जून महीने में 30 सैंपल फिर से जांच के लिए भेजे गए। जून में दिए गए सैंपल्स के रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।
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माइक्रोबायोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ अमरेश सिंह ने कहा 30 मरीजों के जिनोम सीक्वेंसिंग के रिपोर्ट को आईजीआईबी ने दिया है। इन 30 मरीजों में से 27 मरीजों को डेल्टा, दो मरीजों में डेल्टा प्लस और 1 मरीज में डेल्टा के कप्पा वैरिएट (Kappa Varient) के संक्रमण होने की पुष्टि हुई है। इन सभी 30 लोगों के सैंपल अप्रैल और मई में जांच के लिए भेजा गया था।
गंभीर मरीजों के सैंपल भेजे गए थे जांच के लिए
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ अमरेश सिंह के अनुसार जिन लोगों के जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेजे गए थे वह बेहद गंभीर मरीजों में थे। इन मरीजों की सीटी वैल्यू 25 से भी कम थी। इनमें से कई ऐसे मरीज हैं जिनको कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लग चुका है।