राजधानी दिल्ली में देश भर के मुख्यमंत्रियों का मजमा लगा मौका था निर्धारण की सातवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक का। जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ने की इस दौरान मुख्यमंत्री होने अपने-अपने राज्यों की समस्याएं रखी तो कुछ खास सुझाव भी दिए। साल में एक बार होने वाली है बैठक बेहद विशेष मारी जाती है हालांकि फिर भी कुछ राज्यों ने इससे दूरी बनाए रखी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बैठक में नहीं पहुंचे जो अपने आप में चर्चा का विषय बना हुआ है।
दिल्ली में नीति आयोग के 7वें गवर्निंग काउंसिल की हुई बैठक
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राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में आयोजित इस बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों की मांगे और उनके सुझावों को नोट किया गया। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन दिनों को सबसे चर्चित विषय में से एक कोयले समेत अन्य खनिजों का मुद्दा उठाया उन्होंने कोयले और मुख्य खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी दर में संशोधन की मांग की साथ ही उन्होंने जीएसटी के मुआवजे का भी मुद्दा उठाया। बघेल ने कहा कि जून 2022 के बाद भी अगले 5 सालों तक GST मुआवजा अनुदान जारी रखा जाना चाहिए। बघेल ने बैठक के दौरान इस बात को लेकर चिंता जाहिर की कि जीएसटी की कर प्रणाली की वजह से प्रदेशों के रेवेन्यू को नुकसान झेलना पड़ रहा है इतना ही नहीं इस दौरान उन्होंने नक्सल विरोधी अभियानों के लिए तैनात केंद्रीय बलों पर आने वाले 12000 करोड़ के खर्चे की प्रतिपूर्ति की बात रखी।
ओदिशा के सीएम नें कोंयले के मुद्दे पर की बात …?
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मॉर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान केंद्र से उड़ीसा को एक विशेष फोकस राज्य बनाने और आपका पूर्ति के लिए धन आवंटित करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि ओडिशा और उसके लोगों को प्रकृति कों बचाने के लिए आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे का होना जरूरी है ऐसे में केंद्र को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि पिछले 3 साल से नीति आयोग की बैठक में पंजाब से कोई नहीं पहुंचा। सीएम मान ने कहा कि वह इस बैठक में पूरे होमवर्क के साथ पहुंचे थे जिसमें किसानों से जुड़े कुछ विषयों को प्रमुखता के साथ उठाया गया।
नीति आयोग की बैठक में तेलंगाना के सीएम KCR, और बिहार के सीएम नें क्यों बायकाट
इस बैठक कों लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के केसीआर का दूरी बनाना बड़ी चर्चाओं का विषय बना हुआ है। आपको बता दें कि केसीआर नें यह कहते हुए बैठक का बायकाट कर दिया था कि उन्हें इस बैठक में हिस्सा लेना जरूरी नहीं रखता। उन्होंने केंद्र पर राज्यों के साथ भेदभाव का भी आरोप लगाया था। इस पत्र में केसीआर नें लिखा था हमारे देश के समान विकास को सुनिश्चित करने के लिए और राज्यों को केंद्र के साथ एक मंच पर लाने के लिए नीति आयोग शुरू किया गया था। नीति आयोग की पहल के पीछे एक और मुख्य उद्देश्य था कि मजबूत राज्य ही मजबूत देश बना सकते हैं लेकिन हाल की घटनाओं से एहसास हो रहा है कि भारत सरकार जानबूझकर किए गए कामों से संघीय ढांचे को नष्ट करना चाह रही है। नीति आयोग की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल नहीं हुए बैठक से उनकी दूरी का हालांकि सटीक कारण तो पता नहीं चल पाया लेकिन कहा जा रहा है कि कुछ समय पहले वे कोरोनावायरस थे संक्रमित पाए गए थे। जिससे वो अब उभर तो चुके हैं लेकिन शायद इसी वजह से उन्होंने बैठक से दूरी मेंटेन रखी।