Omicron: ओमिक्रॉन का फेफडो पर हमला कितना खतरनाक?

Omicron: ओमिक्रॉन का फेफडो पर हमला कितना खतरनाक?

इन दिनों कोरोंना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की दहशत है ओमिक्रॉन को लेकर नई नई जानकारियां सामने आ रही है। इसी बीच एक ऐसी जानकारी सामने आई है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। मेदांता अस्पताल में डॉ अरविंद कुमार ने AIR के साथ खास बातचीत में ओमिक्रॉन से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दिये। डॉ अरविंद ने कहा :- अभी तक यह देखनें में आया है कि ओमिक्रॉन की वजह से बहुत हल्की बीमारी हो रही है। इसकी वजह से फेफड़ों में पैचेज भले ही हो रहे हो लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं हो रहा है। हालांकि यह शुरुवाती डेटा है और हमें यह देखनें के लिए इंतज़ार करना होगा कि भारी संख्या में केसेज होने पर भी हल्की की बीमारी रहने वाली है या नहीं। डेल्टा में भी शुरू शुरू में भी इतने गंभीर मामले सामने नहीं गए थे लेकिन ज़ब केसेज बढ़ गए तब उनकी गंभीरता उभर कर सामने आई। डॉ अरविंद का कहना है कि ओमिक्रॉन के बहुत कम मरीजों में ऑक्सीजन का संश्लेषण कम पाया गया है। शुरू में कहां जा रहा था इसका बिल्कुल भी असर नहीं है लेकिन जब इंग्लैंड में ओमिक्रोन से पहली मौत की खबर सामने आई तो हर कोई सावधान हो गया।

Omicron: ओमिक्रॉन का फेफडो पर हमला कितना खतरनाक?

मेदांता अस्पताल के डॉ अरविंद का ओमिक्रॉन पर दावा?

हमारे देश में अब तक जितने ओमिक्रॉन के मामले सामने आये है उनमे बहुत कम संख्या में ऑक्सीजन लेवल कम होने की बात सामने आई है। ज्यादातर केसेज माइल्ड है जिन्हे घर पर ही मैनेज किया जा रहा है अगर लोग अस्पताल जहां भी रहे हम तो एक दो दिन में घर वापस ठीक होकर घर आ रहे हैं। हालांकि यह शुरुवाती समय है और अभी भी हमें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है इसको माइल्ड वायरस समझ कर हल्के में लेने की गलती बिल्कुल ना करें। अन वैक्सीनेटेड या फिर एक डोज लगाने वालों में स्थिति कितनी गंभीर है इसे लेकर डॉक्टर अरुण का कहना है कि जब हम वैक्सीन की पहली डोज लग वाते हैं तब शरीर में इम्यूनिटी बननी शुरू हो जाती है। कुछ एंटीबॉडीज बनती है और हमारी कुछ सेल्स एक्टिव हो जाती है जिसको सेल मीडिएट इम्यूनिटी भी कहते हैं। उन्होंने नें कहा ज़ब हम सीमित सीमा के बाद दूसरी डोज लग वाते हैं तो उससे एंटीबॉडीज का लेवल और ज्यादा बढ़ जाता है। दूसरी डोज के 2 हफ्ते बाद व्यक्ति फुली वैक्सीनेटेड माना जाता है एक डोज लगवाने वाले लोगों का प्रोटेक्शन लेवल कहीं कम होता है लेकिन वो उन लोगों से थोड़ा बेहतर होते हैं जिन्होंने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाई है।

Omicron: ओमिक्रॉन का फेफडो पर हमला कितना खतरनाक?

पूरा प्रोटेक्शन दूसरी डोज के बाद ही मिलता है कुल मिलाकर देखा जाये तो कोरोंना वायरस का कोई भी वेंरियंट हो इसे हम हल्के में नहीं ले सकते क्योंकि जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। कब वायरस कितना खतरनाक साबित हो जाए यह कहा नहीं जा सकता इसीलिए दोनों दोज वैक्सीन लगवाना और कोरोंना नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है।

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