देखो बहुत रेड ली होता इंडियन वेब सीरीज के साथ कि लोग उसके लिए इतना ज्यादा पगला जाते हैं कि स्विमिंग प्लेटफार्म को खून की चिट्टियां तक लिखते थे कि अगला सीजन जल्दी लाओ नहीं तो अपनी नस काट लेंगे। लेकिन हेलो आज कल पहनना स्टोर काटते हैं लेकिन अपनी नहीं स्विमिंग प्लेटफार्म की बोले तो पंचायत के सीजन टू, 2 साल के इंतजार के लिए लड़कों के लिए शुभ मुहूर्त 20 को आना था लेकिन तरसे हुए कुछ लड़कों ने इसको 2 दिन पहले इंटरनेट पर लीक कर दिया और ऐमेज़ॉन भी क्या करता 20 की जगह इसको कल ही रिलीज करना पड़ा। खैर साल बदला हवा बदली दुनिया बदली यहां तक कि हम सब का लुक भी लॉक डाउन के बाद टोटल बदल गया लेकिन अगर कोई चीज नहीं तो यें वेब जिस ईमानदारी के साथ इसका पहला सीजन है तो उसी सादगी के साथ दूसरा वाला भी आ गया है, लेकिन इस बार यह सीजन आपको गहरी चोट करेगा बोलो जो कहानी पानी की टंकी खत्म हुई थी वहीं से शुरुआत होती है इसकी कई नए कैरेक्टर्स इंट्रोड्यूस हुई है। जिसमें सबसे ज्यादा मजा आपको दो कैरेक्टर्स दो किरदारों कों देखकर आएगा यू कहे सीजन में असली मसाला वही दो लोग भरतें हैं।
पंचायतों 2 में कई नए किरदारों की हुई एंट्री !
पहली ही क्रांति देवी यानी सुनीता जी कैसे भूल सकते हैं आप इनको कमाल की एक्टिंग करती है. गुल्लक में भी गुल्लक तोड़ परफॉर्मेंस तो इन्होंने दी है, लेकिन इसमें भी छा गई हैं और दूसरे किरदार है क्रांति देवी जी कें ही पति जी भूषण यानी दुर्गेश कुमार जी ने भूषण भैया का रोल अदा किया है। इन दोनों ने जों चरस इस सीजन में बोई है ना भाई साहब वों हों हों लेकिन इसकी कहानी उतनी ही इंपैक्ट छोड़ती है जितना फर्स्ट सीजन में छोड़ा था। छोटी-छोटी बातें और उससे निकाला चकल्लस इस वेब सीरीज की जान है, इसके सेकंड सीजन में हमारी जीतू भैया यानी कि अभिषेक सर की जिंदगी और ग्राम पंचायत फुलेरा में अभी भी छोटी-छोटी चीजों को लेकर दिक्कतें जारी है लेकिन इस बार मामला प्रधान जी या यूं कहें कि प्रधान पति दुबे जी बोले तो रघुवीर यादव कें लेवल का नहीं रह गया। कहानी विधायक जी के बंगले तक को छूकर आती है पॉलिटिक्स की लड़ाई हो प्रधान जी का पावर में रहने की जिद के बीच यह सीजन डोलता हुआ नजर आता है। नीना गुप्ता जी, रघुवीर यादव जी, विकास के रोल में चंदन भैया, दुर्गेश कुमार, रिंकी की रोल में सानवी और पहलाद पांडे बोले तो फैजल जी इनके साथ-साथ बाकी भी जों छोटे-मोटे लोग एक आद दो सीन कें लिए आए हैं बढ़िया परफॉर्मेंस देके गए हैं। 7 एपिसोड तक यह सीजन अपने ही केस पर चलता है लेकिन इस सीजन जों आखिरी एपिसोड है तो आपकी आंखों में आंसू जरूर ले आएगा इतने टाइम हम इतनी सारी सारी मूवी इतनी सारी सीरीज इतना सारा कांटेक्ट अपने अगल-बगल आते जाते देखते हैं लेकिन बहुत कम ऐसा होता है कि कोई ऐसी क्रिएशन आपके दिल को छू जाए छू क्या जाए चीर कर आंख के आंसू निकलवा दे। यें आखरी एपिसोड यही करता है और यह ज़ब आखरी एपिसोड आप देखेंगे तब आपको समझ में आ जाएगा कि हम क्यों कह रहे है।
पंचायतों 2 की क्या है कहानी ?
बाकी राजनीति का चेहरा और गांव की आत्मा में बसे भाव को लिया है यह वाले एपिसोड जब होगा। तो आप दूसरे सीजन से भी ज्यादा इसके तीसरे सीजन का इंतजार करेंगे जी हां क्योंकि कहानी नहीं छोड़ी गई है जहां इसका तीसरा सीजन पक्का लग रहा है लेकिन जिस टोन पर छोड़ी गई है वह आपको रोज इसके अगले सीजन का वेट कराएगा यानी इंतजार रहेगा। रिव्यु में आगे बढ़ते हैं यह सीजन अपने पहले सीजन से भी ज्यादा देशी और बेसिक है। गांव और समाज की जमीनी सच्चाई के साथ इसमें कई नई चीजें भी जोड़ी गई इसकी लिखावट फिर से आपको डीवीएफ का फैन बना देगी और फुल क्रेडिट इसका जाता है चंदन कुमार भैया और डायरेक्टर दीपक कुमार मिश्रा जी को। इसमें कई सारे मीम मटेरियल भी निकल सकते हैं। पिछले सीजन के चक्के वाले कुर्सी का जिक्र है और बारात का भी बोले तो गजब बेजती वाले दमाद जी का भी। हंसी मजाक ठीठोली कें साथ शुरू हुआ यह सीजन अंत तक आते-आते आप से 2 सवाल पूछता है? पहला क्या हमें सच में जिंदगी से शिकायते रखनी चाहिए और दूसरा क्या पंचायत टीवीएफ की बेस्ट क्रिएशन मतलब जिस दुनिया को इस सीजन में या फिर कहे इस पूरी सीरीज में टीवीएस में क्रिएट किया है ऐसा नहीं है कि हम में से किसी ने कभी उसे इस पीरियंस नहीं किया लेकिन जो जैसा होता है उसे वैसा ही लिख कर दिखा देने की काबिलियत बस इस टीम के अंदर नजर आती है। मान गए गुरु आप लोगों को इस सीजन में आपको कुछ छूटा-छूटा साल लगेगा लेकिन क्लीयरली आपको यह समझ में आ जाए कि यह तीसरे सीजन के लिए छोड़ा गया है। कई कहानियां अभी भी अधूरी रखी गई है।