पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में रविवार को एक बड़ा ड्रामा देखने को मिला इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्षी जो अविश्वास प्रस्ताव लाया था। उस पर सबको इंतजार था वोटिंग शुरू होने की विपक्ष का जोश ऐसा था, कि उनकी ओर से वोटिंग करने के लिए कुल 177 सांसद पहुंचे थे। अभी वोटिंग की प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार ही किया जा रहा था, कि डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर सदन की कार्यवाही को ही स्थगित कर दिया। ऐसा होने से इमरान खान ने कुछ राहत की सांस भी लीं, इसे एक बड़े षड्यंत्र की हार बताते हुए उन्होंने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से सदन को ही भंग करने की मांग कर डाली उनकी मांग मान भी ली गई लेकिन यह बात विपक्ष को इस कदर ना गवार गुजरी कि उन्होंने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का रुक कर दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भी इसकी कड़ी निंदा की उन्होंने कहा जो भी कुछ हुआ असंवैधानिक है, उन्होंने कहा संविधान के मूल्यों को बचाने के लिए देश के नागरिकों के साथ साथ तमाम संगठनों को भी आगे आना चाहिए।
पाकिस्तान में पॉलिटिकल ड्रामा, ऐसे में अब क्या होगा?
आपको बता दें पाकिस्तान में विपक्ष संयुक्त रुप से शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के चेहरे के लिए लांच किया था। संभावना जताई जा रही थी, कि अगर इमरान खान बहुमत से पीछे रहते हैं। तो शाहबाज शरीफ के पक्ष में समूचा विपक्ष एकजुट होकर वोटिंग करेगा, लेकिन ऐसा हो ना सका। इस बीच नेशनल असेंबली के भंग हो जाने से यहां फिर से चुनाव की स्थिति पैदा हो गई है, विपक्ष के लगातार विरोध के बीच पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने भी विपक्ष पर तंज कसा। उन्होंने कहा अगर विपक्ष किसी को पीएम बनाने के लिए चुन चुका है, तो उसे चुनाव की प्रक्रिया से पीएम बनवाएं हालांकि यहां उन्होंने दावा भी किया कि पाकिस्तान में फिर से चुनाव होने पर जीत इमरान खान की ही होगी। इन सब के बीच एक बयान पाकिस्तानी सेना की ओर से भी सामने आया पाकिस्तान की इंटर सर्विस पब्लिकेशन के डायरेक्ट मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार अपने इस बयान में कहा कि सदन में जो कुछ भी हुआ उसमें सेना की कोई भूमिका नहीं है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में सियासी उथल-पुथल में सेना की भूमिका की संभावनाएं जताई जाती रही हैं, अगर आगे भी इसी तरह की स्थिति बनी रहती है। तो पाकिस्तान में 90 दिनों में चुनाव करवाए जाएंगे, और उसके बाद यहां की सत्ता में एक नई सरकार का गठन होगा।