LIC निजी से बनी सरकारी कंपनी, अब क्यों हो रहा है निजीकारण ?

परिवार के बड़ों से युवाओं को जो सीख भविष्य के लिए जो सुझाव दिए जाते हैं उन कुछ जरूरी सुझाव में एक बड़ी बात जो अक्सर कहीं जाती है। वों यें है कि भई जीवन बीमा तों होना ही चाहिए आप दर्शकों में से अधिकतर लोगों ने या तो जीवन बीमा कराया होगा या तो फिर प्लान तों जरूर कर रहे होंगे लेकिन क्या आपको मालूम है कि बीमा की राष्ट्रीय कंपनी इसे भारतीय जीवन बीमा निगम के नाम से जाना जाता है। आखिर वो इस मुकाम तक पहुंची कैसे कैसे देश के सबसे बड़े IPO के तौर पर इसने खुद को स्थापित किया और क्यों इसकी कुछ हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया जा रहा है। चलिए हम सब बताते हैं आपको दरअसल इसका जों रोड-मैप तैयार हुआ था वों हुआ था साल 1931 में कराची अधिवेशन के दौरान उसी समय से देश में इसे एक राष्ट्रीय कंपनी के तौर पर स्थापित किए जाने के विचारों पर मंथन शुरू हो गया था। आगे चलकर लोक नायक जय प्रकाश नारायण ने नेहरू सरकार को यें सुझाव दिया था कि कराची अधिवेशन में चर्चा के मुताबिक बीमा का राष्ट्रीय करण जाए इस पर संसद में खूब बहस भी हुई और आख़िरकार 1 सितंबर वों ऐतिहासिक दिन बना ज़ब साल 1956 में यें घोषणा की गई कि जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया है।

LIC कैसे बनी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी…?

1 सितम्बर की रात 8:00 बजे तक तत्कालीन वित्त मंत्री सीडी देशमुख ने ऑल इंडिया रेडियो से इससे जुड़ा अध्यादेश लाए जाने का अनाउंसमेंट किया। इसके बाद संसद में जब इसे से पेश किया गया तों सदन में से लेकर जोरदार बहस हुई तत्कालीन वित्त मंत्री सीडी देशमुख ने इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश क़े लोगों की बचत को एक इफेक्टिव मोबिलाइजेशन के लिए राष्ट्रीयकरण ही सबसे उत्तम कदम साबित होगा। उनकी इस बात की विरोध में यें भी कहा गया कि प्राइवेट हाथों से सिणधरी से सरकारी कंपनी बनाने से इसका ग्रोथ रुक सकता है। हालांकि बाद में बहुमत इसी बात को लेकर बना कि इसे एक राष्ट्रीय कंपनी के तौर पर स्थापित किया जाए और आने वाले वक्त में वों राष्ट्रीय कंपनी बनी जो आज तक देश भर की जनता के बीच छाई हुई है लेकिन यह कद हासिल करने के पीछे भी उसकी कुछ बड़ी रणनीतियां थी। जो बहुत कारगर साबित हुई।

एलआईसी का क्या है इतिहास !

LIC नें देश के सभी क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बनाने और लोगों के बीच इसे पॉपुलर करने के लिए खूब काम किया इसका नतीजा यें निकला कि लोगों के बीच की धारणा बन गई कि जीवन बीमा मतलब भारतीय जीवन बीमा यें धारणा उस वक्त तक कायम है। जब मार्केट में इसके अलावा भी कई दूसरे जीवन बीमा के विकल्प मौजूद है 1956 में ज़ब यें एक प्राइवेट कंपनी से राष्ट्रीय जीवन बीमा कंपनी के तौर पर स्थापित हुई और आज यें देश के सबसे बड़े IPO के तौर पर स्थापित हो चुकी हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम ने कई ऊंचाइयों को छुआ है इसके नेटवर्क का विस्तार हमेशा से चर्चाओं में रहा है। इन तमाम चर्चाओं में से एक ताजी चर्चा इसके फिर से निजी करण को लेकर है। चर्चा है कि सरकार जल्द ही LIC में अपनी हिस्सेदारी में कटौती करने जा रही है, जोकि 3.50 फ़ीसदी के आस-पास हो सकती हैं।

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