Right to Disconnet नियम क्या है? बेल्जियम में 1 फरवरी से होगा लागू, क्या भारत में भी होगा लागू? इस नियम से किन कर्मचारियों को होगा फायदा ?

  1. राइट टू डिस्कनेक्ट (Right to Disconnet) नियम लागू होने के बाद कोई भी अधिकारी अपने कर्मचारियों को कॉल, ईमेल या मैसेज करके परेशान नहीं कर पाएगा। इस नियम के आने के बाद से संपर्क करने के लिए या बातचीत के किसी अन्य दूसरे रास्ते को भी अगर उपयोग में लाया गया तो इस नियम के तहत गैरकानूनी माना जाएगा।

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Right to Disconnet बेल्जियम में 1 फरवरी से होगा लागू 

राइट टू डिस्कनेक्ट (Right to Disconnet) नियम भारत के लोगों के लिए बेशक नया हो सकता है लेकिन यूरोपीय देशों में यह बेहद आम नियम है। राइट टू डिस्कनेक्ट नियमों को लागू करने वाले देशों में अब एक और नया नाम जुड़ा है जिसका नाम बेल्जियम है। बेल्जियम में 1 फरवरी 2022 से राइट टू डिस्कनेक्ट नियम को प्रभावी रूप से लागू कर दिया जाएगा। इस नियम से सरकारी सेवाओं में जुड़े लोगों को ही सहूलियत मिलेगी।

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इस नियम को एक छोटे से उदाहरण से समझ सकते हैं। जैसे कि कोई कर्मचारी जिसका नाम सुनील है। रात 10:00 बजे सुनील का फोन अचानक से बचता है और उसके अधिकारी का नंबर दिखाई देता है। सुनील फोन उठाता है तो उसके अधिकारी उसे किसी जरूरी काम हवाला देकर एक काम सौंप कर फोन रख देता है।

वर्क फ्रॉम होम करने वालों को Right to Disconnet नियम से मिलेगा फायदा 

कोरोना काल में जबसे work-from-home का कार्य आरंभ हुआ है तब से इस तरह की समस्याएं होने लगी है। वैसे तो सुनील का शिफ्ट सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक की ही होती है। लेकिन work-from-home होने के बाद से सुनील और अन्य कई सुनील जैसै लोगों को इस तरह की समस्याएं झेलनी पड़ रही है।

Right to Disconnet

कई बार तो जरूरी काम का हवाला देकर रात के 11 -12 बजे भी अधिकारी अपने अधीनस्थ कार्य करने वाले कर्मचारियों से काम करा ले रहे हैं। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए राइट टू डिस्कनेक्ट नियम को बेल्जियम में लागू किया जा रहा है। इस तरह की समस्याएं भारत के लगभग हर शहर, हर दफ्तरों में हो रही है।

राइट टू डिस्कनेक्ट नियम आने के बाद से किसी भी कर्मचारी कि शिफ्ट खत्म हो जाने के बाद अपने अधिकारी या बॉस के कॉल या मैसेज का जवाब देने के लिए कोई भी बाध्यता नहीं होगी। यानी अपने शिफ्ट को खत्म करने के बाद से कर्मचारियों के ऊपर निर्भर करता है कि वह अपने बॉस के कॉल या मैसेज का जवाब देंगे या नहीं।

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राइट टू डिस्कनेक्ट (Right to Disconnet) नियम डॉक्टर, सेना, पुलिस आदि जैसे अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू नहीं किया गया है। इस नियम में इस बात को भी बताया गया है कि किसी आपातकालीन स्थिति या बेहद असामान्य हालात में ही कर्मचारियों को संपर्क किया जाएगा जिनकी शिफ्ट पूरी हो चुकी है या वे कर्मचारी छुट्टी पर है। लेकिन इन अधिकारियों को संपर्क करने या इन कर्मचारियों को संपर्क करने के लिए हर अधिकारी को एक वाजिब स्पष्टीकरण भी देना अनिवार्य होगा। राइट टू डिस्कनेक्ट नियम को बेल्जियम से पहले फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्लोवाकिया, फिलिपिंस, आयरलैंड और कनाडा ने भी लागू किया है।

क्या भारत में Right to Disconnet नियम होगा लागू ?

इस नियम को बेल्जियम में 1 फरवरी से लागू किया जा रहा है। इसके बाद से यह सवाल उठने लगा है कि जब कई सारे देश इस नियम को लागू कर रहे हैं तो क्या भारत में इस नियम को लागू किया जा सकता है? कोरोना महामारी जब से आई है तब से भारत में करीब 50 से 60 फ़ीसदी लोग work-from-home ही कर रहे हैं और उनको सुनील जैसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है। भारत में इस नियम को भी लागू करने की आवाज उठ रही है लेकिन भारत में इससे पहले भी राइट टू डिस्कनेक्ट  (Right to Disconnet) नियम को लेकर चर्चा हो चुकी है।

2019 में Right to Disconnet नियम पर संसद में हुई थी चर्चा 

2019 में एनसीपी के सांसद सुप्रिया सुले ने राइट टू डिस्कनेक्ट (Right to Disconnet) नियम के लिए संसद की कार्यवाही में एक बिल पेश किया था। इस बिल के तहत बताया गया था कि प्रोफेशनल लाइफ के कभी खत्म ना होने तथा उन कंपनियों को दायरे में लाने की बात कही गई जिन कंपनियों में 10 से ज्यादा कर्मचारी थे। लेकिन अगर उस वक्त यह कानून बन गया होता ऐसी कंपनियों को कर्मचारी वेलफेयर कमेटी का गठन अनिवार्य रूप से करने की जरूरत होती। इसके अलावा उन कंपनियों को अपनी शिफ्ट के बाद कॉल या मैसेज या ईमेल के जवाब नहीं देने पर किसी भी कर्मचारी के जवाबदेही भी तय नहीं होती।

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इस बिल को जब संसद में लाया गया तो उस वक्त वर्क प्रेशर की वजह से भारतीयों की जिंदगी पर बुरे असर पड़ने का भी हवाला दिया गया था। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि 2019 में जब इस बिल को लाया गया उसके बाद से इस पर चर्चा कभी भी नही हुई।

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