सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को GST पर एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें केंद्र और राज्यों पर बाध्यकारी नहीं है। यानी जीएसटी काउंसिल जों सिफारिशें देता है उन्हें लागू करने कें लिए केंद्र और राज्य सरकार बाध्य नहीं है. बल्कि यें सिफारिशें सलाह या परामर्श कें तौर पर देखी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं कें पास जीएसटी पर कानून बनाने का सामान्य अधिकार है। जीएसटी परिषद इस पर उन्हें उपयुक्त सलाह देने के लिए है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूर की अध्यक्षता वाली बेंच नें इस मामले में कहा कि भारत एक सहकारी संघवाद वाला देश है ऐसे में परिषद की सिफारिशें बस सलाह के तौर पर देखी जा सकती हैं और राज्यों केंद्र सरकार के पास इतना अधिकार है कि वों इसे माने या ना माने। इसलिए जीएसटी काउंसिल कों केंद्र और राज्यों के बीच व्यावहारिक समाधान प्राप्त करने के लिए सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए। न्यायमूर्ति चंद्रचूर ने कहा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें सहयोगात्मक चर्चा का नतीजा है यें जरूर नहीं की संघीय इकाइयों में एक के पास हमेशा ज्यादा हिस्सेदारी हों।
ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स पर लगेंगा 28 फीसदी GST !
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट का यहां फैसला गुजरात कें आदेश के मद्देनजर आया है जिसमें हाई कोर्ट ने 2017 में Ocean Freight कें तहत वेसेल में सामानों के ट्रांसपोर्टेशन पर 5 फीसदी आईजीएसटी लगाने के सरकार के नोटिफिकेशन को खारिज किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश बरकरार रखा है। आपको बता दें जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में कसीनो, घुड़दौड़ ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी टेक्स कों लेकर भी अहेम फैसला होने वाला है. इस विषय पर समीक्षा के लिए गठित मंत्रों की समिति ने अपनी रिपोर्ट कों अंतिम रूप दिया है। जिसे परेशानी की अगली बैठक में रखा जाना है. अभी कसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग पर 18 फ़ीसदी जीएसटी लगता है। बता दें कि मेघालय के मुख्य मंत्री कॉनराड संगमा की अगुवाई में मंत्रियों के समूह ने इस महीने की शुरुआत में अपनी पिछली बैठक में सर्व समिति से इन सेवाओं पर कर की दर बढ़ाकर 28 फ़ीसदी करने का फैसला लिया था।