प्रदेश में कोरोना महामारी एक संकट बनी हुई है ऐसे में राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है की छात्रों के परीक्षा को कैसे कराया जाये। यूपी बोर्ड की परीक्षाओं पर भी असर पड़ रहा है। इनको भी रद्द करने की तैयारी चल रही है। पिछले कुछ महीनों से पुरे प्रदेश के स्कूल, महाविद्यालय , विश्वविधालय बंद थे। इनकी सभी कक्षाओं का संचालन ऑनलाइन चल रहा है।
ऐसे में अब सरकार से यूपी के महाविद्यालयों और विश्वविधालयों में स्नातक के प्रथम , द्वितीय वर्ष के छात्रों तथा स्नाकोत्तर के प्रथम वर्ष के छात्रों के प्रमोट करने की गुजारिश किया गया है। जबकि स्नातक और स्नाकोत्तर के अंतिम वर्ष के छात्रों को परीक्षा देना होगा। इन सभी छात्रों को प्रोमोट करने की गुजारिश तीन कुलपतियों की टीम ने सरकार से अपने एक रिपोर्ट में की है। इन तीन कुलपतियों में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविधालय कानपूर के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक, महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविधालय बरेली के कुलपति प्रोफेसर कृष्णपाल सिंह तथा लखनऊ विश्वविधालय के कुलपति प्रोफेसर अलोक राय शामिल थे।
इन्होने सरकार को दिए रिपोर्ट में विश्वविधालयों को अपने स्तर पर परीक्षा का प्रारूप तैयार करने की छूट देने की अपील की है। इन तीनों ने अपनी रिपोर्ट बाकी अन्य विश्वविधालय के कुलपतियों से और शिक्षा जगत से जुड़े मुख्य लोगो के साथ बातचीत करने के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी है।
इन्होने अपने रिपोर्ट में लिखा की जो छात्र अभी द्वितीय वर्ष में है उनको सत्र 2020 – 21 में बिना परीक्षा के ही पास किया गया था लेकिन अगले वर्ष उनका स्नातक का अंतिम वर्ष होगा इसलिए अंतिम वर्ष के परीक्षा के साथ उनका द्वितीय वर्ष का भी परीक्षा लिया जाए ताकि छात्र सिर्फ एक वर्ष की परीक्षा देकर स्नातक की डिग्री पूरी न कर ले। आगे लिखा जो छात्र इस साम्य प्रथम वर्ष में उनको प्रमोट किया जाए लेकिन उनका द्वितीय वर्ष के अंक के आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किये जाए।