उत्तर प्रदेश में बढ़ती आबादी के रोकने के नाम पर अब सियासत आबाद हो रही है। कल विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30 को जारी कर दिया। जनसंख्या नीति के जारी होने के बाद प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। इस जनसंख्या नीति को विधि आयोग के द्वारा तैयार किए गए फार्मूला की मदद से तेजी से बढ़ रही आबादी पर रोक लगाने के लिए जारी किया गया है।
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प्रदेश के विकास में जनसँख्या बड़ी बाधा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुताबिक जनसंख्या उत्तर प्रदेश के विकास के लिए बाधा बन रही है। इसलिए प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के दर को कम करना ही एकमात्र समाधान है। इस जनसंख्या नीति को राज्य विधि आयोग के द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक उसमें कुछ कड़ी सिफारिशों की वकालत की गई है। हम उनमें से कुछ चुनिंदा कड़ी सिफारिशें आपको बताने वाले हैं।
राज्य विधि आयोग द्वारा तैयार ड्राफ्ट में कुछ कड़ी सिफारिशें इस प्रकार है:
1. राज्य विधि आयोग द्वारा तैयार ड्राफ्ट में यह कहा गया कि किसी व्यक्ति के अगर दो से अधिक बच्चे होते हैं तो तो उस व्यक्ति के राशन कार्ड पर सिर्फ परिवार के चार सदस्यों का ही नाम होगा। यह व्यक्ति किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।
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2. इस कानून के लागू होने के 1 साल के अंदर ही सभी सरकारी कर्मचारियों और स्थानीय निकाय चुनाव के जनप्रतिनिधियों को एक शपथ पत्र देना है, इसमें लिखा होगा कि वे इस नियम का उल्लंघन नहीं करेंगे।
3. अगर तीसरा बच्चा शपथ पत्र देने के बाद पैदा हो जाता है तो सरकारी कर्मचारी का प्रमोशन रोका जाए और बर्खास्त करने तक की सिफारिश इस ड्राफ्ट में की गई है। लेकिन अगर कोई तीसरा बच्चा गोद लेता है तो उसके लिए इस पर कोई भी पाबंदी नहीं लगेगी।
4. अगर कोई व्यक्ति दो बच्चे की इस पॉलिसी को अपनाता है और स्वयं नसबंदी कराने का फैसला करता है तो सरकार की तरफ से उसको कुछ खास सुविधाएं भी दी जाएंगे। ऐसे सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन 12 महीने का मातृत्व -पितृत्व अवकाश, एक्स्ट्रा सैलेरी इंक्रीमेंट, जीवनसाथी को बीमा कवरेज, पीएफ एंपलॉयर कंट्रीब्यूशन बढ़ाने जैसी तमाम सुविधाएं दी जाएंगी।
5. जिनके पास सरकारी नौकरी नहीं है उन्हें बिजली, होम टैक्स, होम लोन जैसी सुविधाएं देने का प्रस्ताव इस ड्राफ्ट में रखा गया है।
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