वीर्य में असाधारण शक्ति है एक नया जीवन बना सकता है। इसका मतलब है कि यह सबसे शक्तिशाली चीजों में से एक है यह सवाल इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि आप लोग इसे JNU की चादरों पर फैला रहे हैं। शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए मनुष्य का वीर्य कितना महत्वपूर्ण है क्या वीर्य कों बर्बाद करने से हमें आध्यात्मिक नुकसान हो सकता है। आप जानते हैं कि वीर्य आपके शरीर के अस्तित्व का आधार है चाहे आप पुरुष या महिला क्योंकि कि आपका 50 प्रतिशत हिस्सा है। हमारे पास त्वचा है हमारे पास कोशिकाएं हैं। हमारे पास बाल हैं हमारे शरीर के कई अन्य पहलू हैं दिल, लिवर, किडनी, बहुत सी चीजें हैं। इन सभी कोशिकाओं में अपनी अलग-अलग शक्ति है पर वीर्य में असाधारण शक्ति है। यह एक नया जीवन बना सकता है आज आप एक उपकला यानी एपीथिलियल कोशिका लेकर प्रयोगशाला में बहुत कुछ कर सकते हैं और शायद हम आपका क्लोन बना सकते हैं। ठीक है क्षमता यहां पर उस तरह की क्षमता नहीं है जितनी कि उस कोशिका में है जिसे आप वीर्य कहते हैं। तों यौगिक संस्कृति में इसे वीर्य कहा जाता है।
वीर्य का अर्थ क्या है ? आइए आपको समझाते हैं
वीर्य का एक अर्थ वज्र जरूरी है जिसका अर्थ है स्थिरता या हीरा जो सबसे कठोर चीज है तो मानव शरीर में वीर्य को वज्र के समान माना जाता है। इसका मतलब है कि यह सबसे शक्तिशाली चीजों में से एक है. अगर आप इसका उपयोग करना जानते हो तो उपयोग का एक तरीका है कि आप इतने बच्चे पैदा कर सकते हैं। यह एक बात है अगर आप यह सवाल इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि आप लोग इसे JNU की चादरों पर फैला रहे हैं। अगर आप ऐसा कर रहे हैं आप जो कर रहे हैं वह कर रहे हैं। नैतिक रूप से आका नहीं जाना चाहिए मुद्दा यह नहीं है सवाल यह है कि आपकी मजबूरी के स्तर पर है इस शरीर की किसी भी क्या हमें गलत सर का काम कर सकते हैं बिल्कुल सिर्फ वीर्य ही नहीं। इस शरीर की हर चीज को रूपांतरित किया जा सकता है देखिए मान लीजिए मैंने आप सभी को सूप बनाने की सामग्री दीजिए आप सभी को वहीं सूप बनाने की सामग्री थी आपको लगता है कि आप सभी एक ही सूप बनाएंगे? नहीं 500 किस्मों के सूप बनाएंगे, हालांकि सामग्री एक ही है। अभी हमारे साथ यही हुआ है हम सभी मौलिक रूप से की सामग्री पर देखिए हम में से हर एक कितना अलग है तो यह हर बात पर लागू होता है ना सिर्फ वीर्य पर आपके शरीर और आपके मन के हर आयाम को आप किसी जबरदस्त चीज में बदल सकते हैं या इससे औसत दर्जे का यह एक गंभीर समस्या बना सकते हैं।
वीर्य की क्षमता क्या है ?
आप के जीवन का हर पहलू यही जीवन के इस पहलू के लिए भी सच है। ये वही ऊर्जा है. देखिए लोग इसका शाब्दिक अनुवाद कर रहे हैं पर अगर आप उपकला यानी एपिथिलियल कोशिकाएं बनाना चाहते हैं तो शरीर इस पर जितनी ऊर्जा खर्च करता है उसके मुकाबले अगर आप एक वीर्य की कोशिका बनाना चाहते हैं तो शरीर जितनी ऊर्जा खर्च करता है वह बात अलग है। इसे वैज्ञानिक रूप से स्थापित किया जा सकता है इसलिए जब आप इतनी ऊर्जा का निवेश कर रहे हैं तो जाहिर है कि अगर आपको खोजना आता हो तो इसमें क्षमता है लेकिन क्या आपने खोजने की क्षमता है? क्या आप खोज करने में सक्षम है? क्या आपके पास ऐसा करने के लिए जरूरी साधना और मार्गदर्शन है? एक बड़ा सवालिया निशान है।