उत्तर प्रदेश के चुनावी-गणित का जटिल फार्मूला है, और वो फार्मूला ऐसा है। जिस समझते तों सब है, लेकिन लगा पाने में अच्छे-अच्छो के पसीने छूट जाते है। यहां की राजनीती को साधने में वही कामयाब होता रहा है, जो यहां के जातिये समीकरण को बेहतर ढंग से समझ पाया है। धर्मो, जातियों, वर्गो और आचलो में बटे यहां के समाज का मूड अपने पक्ष में बनाना भी किसी टेढी खीर से कम नहीं है। हालांकि यहाँ की सत्ता में बुलडोजर मुख्य मंत्री की छवि गढ़ने वाले योगी आदित्य नाथ जरूर इस कठिन परीक्षा में डिस्टिंक्शन के साथ पास हुए है। 20 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस प्रदेश में सबसे ज्यादा संख्या पिछड़ा वर्ग की है, बात अगर ब्राह्मण-ठाकुर की करें तों वे संख्या में तों कम है लेकिन अपना अच्छा प्रभाव रखते हैं। लिहाजा चुनाव से पहले हार-जीत के आकड़ो की ऊंची इमारत तैयार करने के लिए सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लिया गया उसकी चर्चा चुनाव परिणाम के बाद होने लगी है। मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ सत्ता की दूसरी पारी में सफल तो रहे हैं, तों यहां ब्राह्मण-ठाकुर जनो पर लगाया गया उनका दाव बिल्कुल फिट बैठा है।
कैसे बना ब्राह्मण-ठाकुर समाज से हर चौथा विधायक?
इसे अगर आकड़ो में समझा जाये तों इस बार 403 सीटों पर ठाकुर समाज से आने वाले 49 विधायको नें जीत हासिल की है। जिसमे सबसे ज्यादा 43 ठाकुर उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विजय रहें है। बाकि के 6 विजयी रहें ठाकुर उम्मीदवार अन्य दलों से है, वही अगर बात विजयी रहें ब्राह्मण उम्मीदवारो की करें तों प्रदेश में अबकी बार कुल 52 ब्राह्मण उम्मीदवारो नें जीत हासिल की है। इस मामलें में भी बाजी भारतीय जनता पार्टी (BJP) नें मारी है, कुल 52 में से अकेले 46 ब्राह्मण उम्मीदवारो नें जीत हासिल की है। जबकि 6 ब्राह्मण उम्मीदवार अन्य दलों से जीते है। वही उत्तर प्रदेश के जातिये समीकरणों में अबकी बार यादवों से ज्यादा कुर्मी समाज में आने वाले विजई उम्मीदवारों की चर्चा है, क्योंकि अबकी बार संख्या में कम होने के बावजूद 27 कुर्मी विधायक भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जीते है। तों वही 12 कुर्मी विधायको को समाजवादी पार्टी (SP) के टिकट पर सफलता हाथ लगी है। उसी तरह जाटव समाज से बीजेपी के 18 तों सपा के 10 जाटव उमीदवारों को जीत मिली है, जाट समाज से भी इस बार कुल 15 विधायक जीतकर सदन में पहुंचे हैं। वहीं अगर बात मुस्लिम समाज की करें तों इस बार कुल 34 मुस्लिम विधायको को जीत मिली है, जिसमे से 32 मुस्लिम उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत मिली है, तो वही 2 मुस्लिम उम्मीदवार RLD के टिकट पर जीते है।
BJP नें नहीं दिया किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट?
यहां दिलचस्प बात यह रही की इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) नें किसी मुस्लिम चेहरे को चुनावी मैदान में नहीं उतारा था। इस बीच चुनाव के दौरान चर्चा यें भी बनी रही की योगी सरकार को कुछ हद एटी इनकम झेलनी पड़ सकती है। तो कुछ कुछ चर्चाएं ऐसी भी थी, कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को काफ़ी डैमेज झेलना पड़ेगा लेकिन इन सबके बावजूद 2022 के चुनावी रण में भारतीय जनता पार्टी (BJP) नें प्रचंड जीत के साथ वापसी की है। जिसने सभी तरह के कयासो को झूठा साबित कर दिया है।