उत्तर प्रदेश की सियासत में कन्नौज विधानसभा सीट को काफी अहम माना जाता है, यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस विधानसभा सीट पर पिछले 20 साल से समाजवादी पार्टी का दबदबा है, यहां तीसरे चरण में 20 फरवरी को मिला ले जाएंगे। इस बार यहां के भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी असीम अरुण समाजवादी पार्टी के अनिल दोहरे कांग्रेस की विनीता देवी बहुजन समाज पार्टी के समरजीत ओवैसी की पार्टी के सुनील कुमार के बीच मुकाबला है। इस सीट पर साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जनता दल से विधायक रह चुके कल्याण सिंह दोहरे पर अपना दांव लगाया था, उस समय कल्याण सिंह दोहरें नें सीट समाजवादी पार्टी के झोली में डाल दी थी। तभी से यहां पर समाजवादी पार्टी का कब्जा चल आ रहा है, 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर अनिल दोहरे ने जीत का परचम लहराया था। कन्नौज सदर विधानसभा सीट पर 2017 के चुनाव नतीजे की बात करें तो समाजवादी पार्टी के उमीदवार अनिल दोहरे ने जीत का परचम लहराया था, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बनवारी लाल दोहरे को 2 हजार 454 वोटों से शिकस्त दी थी।
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कन्नौज विधानसभा सीट का क्या है इतिहास
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अनिल दोहरे को 2017 के चुनाव में 99 हजार 635 वोट मिले थे। जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बनवारी लाल दोहरे को 97 हजार 181 वोट हासिल किए थे। बहुजन समाज पार्टी के अनुराग सिंह 44 हजार 182 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे। जबकि भारतीय सुभाष सेना के कृपा राम चौथे स्थान पर रहे, साल 2017 में वोटों का प्रतिशत 40.17 फ़ीसदी रहा। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मोदी लहर में बड़े-बड़े दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इसके बावजूद भी कन्नौज में समाजवादी पार्टी सीट को बचाने में सफल रही थी। इतना ही नहीं पिछले 4 बार की विधानसभा चुनाव में कोई भी समाजवादी पार्टी के सामने आकर खड़ा हुआ वह फेल साबित हुआ। इस लिए कन्नौज विधानसभा सीट को सपा का अभेद किला कहा जाता है, पूर्व मुख्य मंत्री और समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव यहीं से सांसद रह चुके हैं। समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव भी यही से 3 बार सांसद रहे हैं, इतना ही नहीं अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी कन्नौज से दो बार सांसद रह चुकी हैं। कन्नौज विधानसभा सीट पर 4 लाख 25 हजार से ज्यादा मतदाता है, यहां सभी जाति वर्ग के लोग निवास कर रहे हैं।
कन्नौज विधानसभा सीट सपा का गढ़ क्यों माना जाता है?
फिर भी ब्राह्मण अनुसूचित जाति के वोटर ज्यादा है। OBC वर्ग में शामिल जातियों के वोटर चुनावी नतीजों में अपनी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। सियासी रण में उतरे समाजवादी पार्टी उम्मीदवार और यहां के विधायक अनिल दोहरे अपने 5 साल के शासन में कराए गए विकास कार्यों के दम पर वोट मांगने की बात कहते हैं। उनका कहना है उन्होंने यहां विकास के कई काम कराए वैसे मैं यहां की जनता एक बार फिर से उनको मौका देगी। वही भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार असीम अरुण भी घर-घर जाकर चुनाव प्रचार में लगे हैं, पुलिस अधिकारी रह चुके असीम वरुण लोगों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद और वोट मांग रहे हैं। वही कांग्रेस और बसपा उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत के दावे करते हुए चुनाव प्रचार में लगे है, यह बात किसी से नहीं छिपी की चुनावी सीजन में दावे और वादे सबसे ज्यादा किए जाते हैं। कन्नौज में किसकी जीत के दावे सच साबित होंगे और यहां की जनता किसे अपना आशीर्वाद और वोट देगी। कौन यहां से चुनकर विधानसभा में पहुंचेगा यह सब 10 मार्च को साफ होगा।