उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच पहले दूसरे चरण के बाद अब तीसरे चरण में सेंट्रल यूपी के यादव बेल्ट और बुंदेलखंड इलाके की 59 सीटों पर सियासी दलों ने अपनी जोर आजमाइश शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी के लिहाज से तीसरे चरण सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है, और इस बेल्ट में अखिलेश यादव की असली अग्नि परीक्षा होने वाली है। बुंदेलखंड इलाके की 59 सीटों पर 20 फरवरी को वोट डाले जाएंगे, समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले इस इलाके में भारतीय जनता पार्टी ने पिछले चुनाव में क्लीन स्वीप किया था। ऐसे में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की असली अग्नि परीक्षा अब तीसरे चरण में होने वाली है, तीसरे चरण की जिन 59 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें से 90 फ़ीसदी सीटों पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। 2017 के चुनाव में इन 59 सीटों में से 49 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी, पिछले 3 दशक में किसी भी पार्टी के लिए इस चरण में सबसे बड़ी जीत थी। 2017 में 9 सीट पर समाजवादी पार्टी और महज एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी, बहुजन समाज पार्टी खाता नहीं खोल सकी थी।
सपा बुंदेलखंड की 59 सीटों पर लगाएगी पूरा जोर?
सत्ता में रहने के बावजूद भी समाजवादी पार्टी ने अपने गढ़ में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया था 2017 विधानसभा चुनाव में और मोदी लहर पर सवार भारतीय जनता पार्टी ने 49 सीटे जीतकर नया रिकॉर्ड बना दिया था। तीसरा चरण समाजवादी पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी समझते हैं। यही वजह है कि अब अपनी पूरी ताकत अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड में झोंक दी हैं, भारतीय जनता पार्टी के लिए जहां अपनी सीटें बचाने की चुनौती हैं। पिछली बार की चुनावी नतीजों को देखते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव खुद ही इस तीसरे चरण में चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने के लिए मैनपुरी जिले की करहल सीट से उतरे है। और उनके चाचा शिवपाल यादव इटावा के जसवंतनगर सीट से ताल ठोक रहे हैं, अखिलेश यादव के सामने अपने गढ़ में खिसके सियासी आधार को दोबारा से हासिल करने की चुनौती है। तीसरे चरण के चुनाव में कन्नौज सुरक्षित सीट पर आईपीएस की नौकरी छोड़कर सियासी मैदान में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में उतरे असीम अरुण का भी इंतिहान है। और इनकी भी यहां पर अग्नि परीक्षा होने वाली है, यानी यहां से जीत दर्ज कर पाते हैं या फिर नहीं।
क्या भाजपा कायम रख पाती है बुंदेलखंड में अपना परचम?
इसी तरह से सिरसागंज विधानसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव जो कि हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं इनकी भी अग्नि परीक्षा है। कैराना के पलायन को लेकर भले ही सियासी चर्चाएं और भाषण बाजी खूब हुई हो लेकिन बुंदेलखंड में पलायन जमीनी हकीकत है। पानी और बेरोजगारी के सवाल है, आवारा पशुओं से किसान की बर्बाद होती फसल और गन्ना माफियाओं की भेंट चढ़ती प्राकृतिक आपदा यहां का मुद्दा है। एक समय बुंदेलखंड बसपा का मजबूत गढ़ हुआ करता था लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में अपना सियासी आधार मजबूत किया है। यादव बेल्ट के साथ-साथ बुंदेलखंड इलाके की सीटों पर इस बार कांटे का मुकाबला माना जा रहा है, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव शुरू के 2 चरणों की 113 सीटों पर मतदान खत्म हो चुका है। पहले चरण में जहां जाट लायन इलाके वाली सीटों पर चुनाव थे, तो दूसरे चरण में मुस्लिम इलाकों में वोटिंग हुई है। वहीं तीसरे चरण में सेंट्रल उत्तर प्रदेश के यादव बेल्ट और बुंदेलखंड इलाके की 59 सीटों पर महा मुकाबला होने वाला है।