दोस्तों ज़ब भी इंडिया ई-कॉमर्स मार्केट की बात होती है. तब फ्लिपकार्ट और अमेजॉन का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन जब बात हो रही हो फ्लिपकार्ट और अमेजॉन में सबसे अच्छा कौन है? तो यहीं पर कंफ्यूजन क्रिएट होता है। क्योंकि कुछ लोगों के लिए फ्लिपकार्ट अच्छा है तो कुछ लोगों के लिए अमेजॉन अच्छा है। लेकिन दोस्तों सच्चाई यह है. अमेजॉन दुनिया में अपने डोमिनेटिंग नेचर के लिए ही जानी जाती है। और अमेजॉन का इतिहास भी यही कहता है. जिस भी देश में उसने एंटर किया है. उसने कंपटीशन ही खत्म कर दिया है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि इंडिया में ऐसा क्यों नहीं है? अमेजॉन अभी तक फ्लिपकार्ट को पीछे क्यों नहीं कर सका। और दोस्तों आज की इस रिपोर्ट में हम फ्लिपकार्ट के इसी बिजनेस स्ट्रेटजी को जानने वाले हैं। दोस्तों फ्लिपकार्ट और अमेजॉन के बीच ये इंडियन इकॉमर्स बिजनेस वॉर साल 2014 में तब शुरू हुआ था जब फ्लिपकार्ट इंडियन ई-कॉमर्स मार्केट का किंग था। दरअसल 2014 में फ्लिपकार्ट के पास इंडस्ट्री का 40% मार्केट शेयर था। जबकि उस समय अमेजॉन का मार्केट शेयर 12% था, लेकिन 2016 के बाद से ये आंकड़े बदलने लगे और अमेजॉन का रेवेन्यू बेहद तेजी से बढ़ने लगा।
यहां तक कि 2018 आते -आते अमेजॉन का मार्केट शेयर 12 परसेंट से बढ़कर 31.2 परसेंट तक पहुंच गया था। यानी 2014 में जहां अमेजॉन का मार्केट शेयर फ्लिपकार्ट से 3 गुना कम था वह 2018 में फ्लिपकार्ट के लगभग बराबर हो गया। और हैरानी की बात यह है अमेजॉन नें यह कारनामा सिर्फ भारत में ही नहीं दिखाया बल्कि इस कंपनी ने जिस भी कंट्री में एंटर किया वहा दूसरी कंपनी के डोमिनेंस को इसी तरह डिस्ट्रॉय कर दिया। अब ऐसे में सवाल यह उठता है. कि आखिर अमेजॉन वह कौन सी बिजनेस स्ट्रेटजी फॉलो करती है जिसके दम पर यह इतनी तेजी से आगे बढ़ गई। असल में दोस्तों अमेजॉन कि ये बिजनेस स्ट्रेटजी स्पेशल मेंबरशिप सर्विस में छुपी है जिसे हम अमेजॉन प्राइम के रूप में जानते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी अमेजॉन ने अपनी इस प्रीमियम कस्टमर्स को स्पेशल सर्विस प्रोवाइड करने या उन्हें प्राइम वीडियोस के लिए लांच किया ही नहीं है बल्कि इसके पीछे एक बेहद स्ट्रांग साइकोलॉजिकल रीजन है। जिसे इकोनॉमिक्स के फील्ड में The Sunk Cost Fallacy के नाम से जाना जाता है इस साइकोलॉजिकल इफेक्ट को सबसे पहले 1989 में अमेरिकन इकोनॉमिस्ट Richard thaler नें डिस्क्राइब किया था।
𝙰𝚖𝚊𝚣𝚘𝚗 का धमाकेदार बिजनेस प्लान…?
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दरअसल इसके अनुसार इंसान का नेचर कुछ इस तरह का होता है। कई बार हुआ सब कुछ पता होने के बावजूद जान बूझ कर खुद को नुकसान पहुंचाने वाला काम कर जाता है। क्योंकि उस चैलेंज के लिए उसने अपना पैसा यह समय इन्वेस्ट किया होता है. तो चलिए हम एक एग्जांपल के जरिए समझते हैं। मान लीजिए आप किसी थिएटर में जाते हैं लेकिन थिएटर में कुछ देर बैठने के बाद आपको महसूस होता है कि मूवी बिल्कुल बेकार और बोरिंग है तो ऐसे सिचुएशन में आप बोर होने के बावजूद भी सो को छोड़कर नहीं जाते हैं आपको अच्छी तरह मालूम होता है मूवी को देखकर आपका टाइम वेस्ट ही जाएगा लेकिन आपने उस मूवी के लिए अपने पैसे इन्वेस्ट किए हैं. इसीलिए ज्यादा चांसेस होंगे कि आप वो मूवी को पूरा देखें। ठीक इसी तरह जब हम किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं. तब खाना टेबल पर लगने के बाद हमें महसूस होता है कि हमने गलती से ज्यादा खाना ऑर्डर कर दिया है. तब उस समय हमें यह अच्छी तरह से मालूम होता है कि ओवर एक्टिंग से हमारे पैसे वापस नहीं आएंगे और तो और ज्यादा खाना खाने पर हमारे पेट खराब होने का खतरा भी होता है लेकिन फिर भी ऐसी सिचुएशन में हम में से ज्यादा तर लोग ज्यादा खाना खा ही लेते हैं. क्योंकि हमने उस खाने पर पैसे खर्च किए हैं।
और हमारे इसी बर्ताव को The Sunk Cost Fallacy का नाम दिया गया है। जो बिजनेस के परस्पेक्टिव से अपने आप में एक बिलियन डॉलर आईडिया है। और अमेजॉन ने अपने अमेजॉन प्राइम वीडियो इसी प्रेस पल को अपने ध्यान में रखते हुए लॉन्च किया है। दरअसल भारत में बहुत से लोग ऐसे हैं. जो सिर्फ मिर्जापुर और फैमिली मैन जैसी वेब सीरीज को देखने के लिए अमेजॉन प्राइम सब्सक्रिप्शन ले लेते है। उन्हें जब इस मेंबरशिप के चलते अमेजॉन पर अलग-अलग तरह के लुभावने ऑफर्स जैसे फ्री डिलीवरी फ़ास्ट डिलीवरी लिमिटेड रीवार्ड्स प्वाइंट्स और स्पेशल डील्स एंड डिस्काउंट मिलते हैं तो वह लोग जरूरत ना होते हुए भी अमेजॉन से शॉपिंग कर लेते हैं। इसके अलावा उन्हें जब भी सच में किसी भी चीज को खरीदने की जरूरत पड़ती है. तो वों उस चीज को फ्लिपकार्ट की जगह अमेजॉन से ही ऑर्डर करेंगे। क्योंकि उन्होंने प्राइम मेंबरशिप पर अपना पैसा खर्च किया है. और रिपोर्ट्स बताती हैं नॉन प्राइम मेंबर्स की तुलना में प्राइम मेंबर्स अमेजॉन से 3 गुना ज्यादा शॉपिंग करते हैं।
अमेजॉन प्राइम मेंबरशिप…?
यानी एक तरह से कह सकते हैं कि अमेजॉन अपनी प्राइम वीडियो सर्विस को शिकार फ़साने वाले चारे की तरह इस्तेमाल करता है। क्योंकि उसे यह मालूम है अगर एक बार किसी ने अमेजॉन की मेंबरशिप लें ली तो वह व्यक्ति अपनी इंसानी फित्तरत के मुताबिक अमेजॉन से शॉपिंग करना भी शुरू कर देंगा। अमेज़ॉन की ये बिजनेस स्ट्रेटजी उनके लिए काफ़ी ज्यादा फायदे मंद साबित हुई क्योंकि 2016 में जबसे अमेजॉन ने भारत में प्राइम वीडियो को लॉन्च किया है तब से इंडियन ई-कॉमर्स मार्केट में उनका रेवेन्यू काफी तेजी से ऊपर गया है। साथ ही अमेजॉन ने इस स्ट्रेटजी को जिस खूबी से एग्जीक्यूटेड किया है वह भी इसकी सफलता का एक बड़ा कारण है। दरअसल अमेजॉन ने अपनी स्ट्रीमिंग सर्विस पर लाइव स्टैंडर्ड कॉमेडी शो से लेकर लोगों के घर में एलेक्स और फायरस्टिक पहुंचाने तक वह सभी काम किए है जिससे कि प्राइम मेंबर्स की गिनती ज्यादा से ज्यादा बढ़ सके। और दोस्तों इन सब स्ट्रेटजी के बाद 2018 में उनकी सेल्स 7.5 बिलीयन डॉलर्स को क्रश कर गई थी। लेकिन इस कहानी में सबसे बड़ा ट्विस्ट यह है कि इतना सब कुछ करने के बाद अमेजॉन पिछले कुछ समय में फ्लिपकार्ट से बिछड़ता नजर आया।
यहां तक कि पिछले दो दिवाली सेल्स में भी फ्लिपकार्ट ने अमेजॉन को बड़े अंतर से मात दी है। दरअसल 2020 के दिवाली शॉपिंग सेल्स के दौरान अमेजॉन और फ्लिपकार्ट की combined सेल्स में फ्लिपकार्ट का हिस्सा 66% रहा था जबकि अमेज़ॉन के हिस्से में इस सेल्स का सिर्फ 34% शेयस ही हाथ आया और इसी तरह 2021 की दिवाली सेल्स में फ्लिपकार्ट का मार्केट शेयर 60% और अमेजॉन का मार्केट शेयर 32% रहा। यानी दोस्तों दोनों ही दिवाली सेल्स में फ्लिपकार्ट ने अमेजॉन को लगभग दोगने के अंतर से पीछे छोड़ा और यह अपने आप में वाकई एक चौंकाने वाला आंकड़ा है। तो दोस्तों ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी पावरफुल स्ट्रेटजी अपनाने के बावजूद भी अमेजॉन दिवाली सेल्स के दौरान फ्लिपकार्ट से पीछे कैसे रह गया। तो दोस्तों ऐसा होने के पीछे 3 रीजन है रीजन नंबर वन दोस्तों इसमें कोई शक नहीं कि अमेजॉन की प्राइम मेंबरशिप स्ट्रेटजी टियर वन सिटीज में बेहद कामयाब रही है। लेकिन यह प्रॉब्लम यह हुई कि पिछले दो सालो से दिवाली सेल्स में 50% से ज्यादा कंट्रीब्यूशन छोटे शहरों व कस्बों का रहा है। जिनकी गिनती टीयर टू टीयर थ्री और इसके बाद वाली कैटेगरी में होती है।
फ्लिपकार्ट फ्री मेंबरशिप…?
और यह चीज फ्लिपकार्ड के लिए बहुत बड़ा प्लस प्वाइंट साबित हुआ क्योंकि छोटे शहरों में फ्लिपकार्ट की ब्रांड रिकवरी सीजन नंबर टू दोस्तों अमेजॉन जहां अपनी प्राइम मेंबरशिप के लिए कस्टमर से हर महीने 189 रूपये चार्ज करता है वही फ्लिपकार्ट स्टूडेंट को अपनी फ्लिपकार्ट प्लस मेंबरशिप फ्री में देता है। जिसके जरिए वह फ्लिपकार्ट पर शॉपिंग करते हुए फ्री एंड फास्ट डिलीवरी एक्सक्लुसिव डील्स एंड डिस्काउंट जैसे ऑफर्स का लाभ उठा सकते है। असल में फ्री मेंबरशिप दिए जाने के पीछे फ्लिपकार्ट की एक जबरदस्त स्ट्रेटजी है। दरअसल सभी घरों के टीनेजर्स इलेक्ट्रॉनिक आइटम के सबसे बड़े वायर्स होते हैं. और जो कि इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट पर ऑफर मार्जन सबसे ज्यादा होता है तो ऐसे में सभी कंपनियां अपने इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट सिम को बढ़ाना चाहते हैं। और दोस्तों यही वजह है कि फ्लिपकार्ट के प्लस मेंबरशिप में शामिल 75% से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो इससे पहले किसी भी तरह के लॉयल्टी प्रोग्राम जैसे क्रेडिट कार्ड रीवार्ड्स प्रोग्राम और प्राइम मेंबरशिप का हिस्सा नहीं रहे है। इसके अलावा अमेजॉन के प्राइम मेंबर्स जहां नॉन प्राइम मेंबर्स की तुलना में 3 गुना ज्यादा शॉपिंग करते हैं वही फ्लिपकार्ट के प्लस मेंबरशिप कस्टमर नॉन प्लस कस्टमर्स की तुलना में 5 से 7 गुना ज्यादा शॉपिंग करते हैं।
रीजन नंबर थ्री दोस्तों अमेजॉन को बीट करने के पीछे फ्लिपकार्ट के पास एक बहुत बड़ा बेनिफिट यह भी है। कि वह अपनी सब्सिडरी मिंत्रा के चलते शुरुआत से ही पसंद लीडर बना हुआ है।