दोस्तों अमेजॉन दुनिया की सबसे कामयाब ई कॉमर्स कंपनी है। और इस कंपनी का रिकॉर्ड रहा है, जिस भी कंट्री में एंट्री करती है वहा ये अपने कंपटीशन को खत्म कर देती हैं, हमारे भारत में भी लगभग पिछले 8 सालों से अमेजॉन इकॉमर्स इंडस्ट्री का किंग बना हुआ है। लेकिन अब आने वाला समय अमेजॉन के लिए काफी मुश्किलों से भरा हुआ है, क्योंकि भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस ने अमेजॉन को खत्म करने की प्लानिंग शुरू कर दी है। और रिलायंस जिस प्लानिंग के साथ इस मार्केट में एंटर कर रही है, उसको देखकर यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि जल्द ही इमेज हमको इंडियन मार्केट से बाय बाय कहना पड़ सकता है। तो आखिर रिलायंस अमेजॉन जैसी ताकतवर ट्रिलियन डॉलर कंपनी को किस तरह से हरायेगी आज हम इस खबर में जानने वाले है। अमेजॉन की शुरुआत भारत में साल 2013 से हुई थी, क्योंकि इसी साल जून के महीने में अमेजॉन नें इंडियन मार्केट एंटर किया था, आज की बात करें तो इस समय भारत के अंदर अमेजॉन की 60 से ज्यादा वेयर हाउसेस मौजूद है। जो 15 अलग अलग राज्यों में फैले हुए है, इन्हीं वेयर हाउसेस चलते आज अमेजॉन भारत के 15000 से ज्यादा पिन कोडस पर अपने प्रोडक्ट डिलीवर्स कर पाता है।
जिसमें बड़े बड़े शहर से लेकर छोटे छोटे गांव और कस्बे भी शामिल हैं। इसके अलावा अमेजॉन के पास बड़ी मात्रा में हम इंडियंस का डेटा भी मौजूद है, जिससे उन्हें पता चलता है, कौन से कस्टमर्स किस तरह के प्रोडक्ट को पसंद करते हैं। साथ ही अमेजॉन के पास दुनिया का वन ऑफ दी बेस्ट कस्टमर्स सपोर्ट भी है, भारत में एक मजबूत सप्लाई चैन और कस्टमर सपोर्ट बनाने और लोगों का ट्रस्ट अमेजॉन ने अपने 8 साल स्पेंड कीये है। ऐसे में यह सवाल मन में आना लाजमी है, रिलायंस आखिर अमेजॉन के इतने मजबूत वा जमे जमाए बिजनेस को किस तरह का टक्कर दे पाएगा। असल में दोस्तों इस सवाल का जवाब सप्लाई नाम के चैन क़े उस सिस्टम में छुपा है जो किसी भी इ कॉमर्स कंपनी के लिए उसका सबसे इंपोर्टेंट वसीयत माना जाता है। दरअसल अमेजॉन की बात करें तो उसके पास भारत के 15 अलग अलग राज्यों में 60 से ज्यादा वेयर हाउसेस मौजूद है, जो अमेजॉन के डिलीवरी सिस्टम में बेहद अहम रोल निभाते हैं। वहीं दूसरी तरफ अगर रिलायंस की बात करें तो अमेजॉन के मुकाबले उनके पास लगभग 7000 शहरों क़े अंदर 12000 से ज्यादा माइक्रो वेयर हाउसेस मौजूद है।
रिलायंस क़े पास अमेजॉन को पीछे छोड़ नें का क्या है. प्लान?
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और ये माइक्रो वेयर हाउसेस कुछ और नहीं बल्कि रिलायंस के वो रिटेल स्टोर है. जो देश के कोने कोने में फैले हुए हैं। और रिलायंस पहले ही यह घोषित कर चुका है. कि वो इन रिटेल स्टोर्स कों अपने कॉमर्स बिज़नेस के लिए फुलफिलमेंट सेंटर में बदलने जा रहा है। ऐसे में यह सारे रिटेल हाउसेस माइक्रो वेयर हाउसेस क़े रूप में रिलायंस क़े जबरदस्त डिस्ट्रीब्यूशन चैन बन सकतें है। क्योंकि इस डिस्ट्रीब्यूशन चैन क़े जरिए रिलायंस कों 3 ऐसे अहम बेनिफिट्स मिलेंगे जो अमेजॉन जैसी कंपनी के पास भी नहीं है। तो चलिए जानते हैं उन तीनों बेनिफिट्स के बारे में 01. दोस्तों इसमें रिलायंस को सबसे पहला फायदा यह होगा, अमेजॉन जहां अपने वनडे डिलीवरी सर्विस के जरिए 24 घंटे में प्रोडक्ट की डिलीवरी देता है. वहीं रिलायंस इस सप्लाई चैन की मदद से सिर्फ 2 घंटे में ही प्रोडक्ट को डिलीवर कर पाएगा। फॉर एग्जांपल आप मान लीजिए आप दिल्ली या फिर उसके आस पास के इलाके में रहते हैं. और आप अमेजॉन से कोई ऐसा प्रोडक्ट ऑर्डर करते हैं. जो अमेजॉन के दिल्ली वेयर हाउस में मौजूद है, ऐसे में अमेजॉन आपको वनडे गारंटेड डिलीवरी का ऑप्शन देगा।
जिसके जरिए वो प्रोडक्ट आपको 24 घंटे के अंदर डिलीवर कर दिया जाएगा। अब अमेजॉन चाहे भी तों वो अपने इस गारंटेड डिलीवरी ऑप्शन को 24 घंटे से कम नहीं कर सकता है। क्योंकि आपका घर अमेजॉन क़े उस वेयर हाउस से सैकड़ों किलोमीटर दूरी पर हो सकता है ऐसे में अमेजॉन को फास्टेस्ट डिलीवरी करने के लिए भी मैक्सिमम 24 घंटे की जरूरत तो पड़ती ही है। वहीं रिलायंस की बात करें तो रिलायंस का रिटेल स्टोर अमेजॉन वेयर हाउस की तुलना में आपके घर से बेहद नजदीक हो सकता है। क्योंकि जैसा कि हमने आपको बताया क्योंकि रिलायंस के पास 12 हजार से ज्यादा ऐसे रिटेल स्टोर्स है. जो देश के कोने कोने में फैले हुए हैं। ऐसे में रिलायंस अमेजॉन से कहीं ज्यादा तेज प्रोडक्ट डिलेवर कर पाएगा। अगर वह प्रोडक्ट आपके नजदीकी रिलायंस रिटेल स्टोर में मौजूद ना हुआ तभी रिलायंस को प्रोडक्ट डिलीवरी करने में मैक्सिमम 1 से 2 दिन का ही समय लगेगा, यानी अमेजॉन की जो फास्टेस्ट डिलीवरी सर्विस है. वो रिलायंस के लिए उनका नॉर्मल डिलीवरी टाइम होगा, और ये ऐसी चीज है जिसे अमेजॉन कभी भी भारत के अंदर अचीव नहीं कर सकता है. और इसकी वजह हम आगे खबर में जाने वाले हैं।
अमेजॉन ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस में 5800 करोड़ का होता है. नुकसान?
02. दोस्तों अपनी डाटा के चलते रिलायंस एक ऐसी ठोस और सप्लाई चैन बनाने में सफल रहा है। जहा अमेजॉन ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस में 5800 करोड़ क़े लॉसेस को रिपोर्ट किया है। वही केवल रिलायंस रिटेल स्टोर ने 9800 करोड़ का प्रॉफिट करके दिखाया है, जो वाकई में एक हैरान कर देने वाला आंकड़ा है। दोस्तों आज रिलायंस के इस मुकाम पर पहुंचने के पीछे सबसे मेन रीजन है सक्सेजफुल लीडरशिप। 03. दोस्तों इस डिसटीब्यूशन चैन के चलते रिलायंस के पास तीसरा और सबसे बड़ा एडवांटेज ये है. की कस्टमर्स द्वारा प्रोडक्ट को रिटेन करने पर उसे इस तरह के लॉस नहीं उठानी पड़ेगे जैसे अमेजॉन उठाता है। दरअसल इ कॉमर्स बिज़नेस में रिटेलर्स और मैन्युफैक्चरर्स दोनों के लिए सबसे बड़ा चैलेंज कस्टमर रिटर्न्स कों माना जाता है। क्योंकि इकॉमर्स बिजनेस में रिटर्न्स 20 -30% क़े बीच है. साथ ही ई-कॉमर्स पर शॉपिंग करने वाले लगभग 80 % लोंग अपने रिटर्न किए जाने पर प्रोडक्ट का जो एक्स्ट्रा खर्च होता है, वो सेलर को ही चुकाना पड़ता है। क्योंकि अमेजॉन पर बिकने वाले ज्यादातर प्रोडक्ट डायरेक्टली अमेजॉन के द्वारा ही सेल किया जाता है, ऐसी में प्रोडक्ट के रिटर्न होने पर जो एक्स्ट्रा खर्च होता है. वह भी अमेजॉन कों ही झेलना पड़ता है।
आपको जानकर काफी हैरानी होगी कि सिर्फ अमेरिका क़े अंदर अमेजॉन के इन रिटर्नस का खर्च 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाता है। यानी दोस्तों यह रिवर्स सप्लाई चैन अमेजॉन के लिए अरबों डॉलर क़े लॉस का कारण बनता है। अब दोस्तों आपके मन में भी यह सवाल आया ही होगा, अगर रिटर्न्स अमेजॉन के लिए इतने बड़े लॉस का कारण है, तों रिलायंस के लिए क्यों नहीं? दरअसल जब अमेजॉन पर कोई कस्टमर किसी प्रोडक्ट को रिटर्न करता है. तो सबसे पहले उस प्रोडक्ट को डिलीवरी ब्वॉय पिक करने आता है, उसके बाद वह प्रोडक्ट डिलीवरी स्टेशन तक पहुंचता है. जहां उसे दोबारा रीपैक किया जाता है. बाद में उस प्रोडक्ट को सेलर के पास भेज दिया जाता है। दोस्तों इस पूरे प्रोसेस में ट्रांसपोर्टेशन लिवर और पैकेजिंग का काफी सारा एक्स्ट्रा खर्चा हो जाता है. और लंबे समय से ट्रांसपोर्टेशन में रहने की वजह से जो जो प्रोडक्ट सेलर या अमेजॉन वेयर हाउस पहुंचने से पहले डैमेज हो जाते है. उसका नुकसान अलग से होता है। अब रिलायंस की अगर बात करें तो उनके मामले में यह प्रोसेस इतना लम्बा नहीं होगा क्योंकि डिलीवरी बॉय रिटर्न प्रोडक्ट को पिक करके अपने नजदीकी रिलायंस रिटेल स्टोर में पहुंचा देंगा।
इंडियन गवर्नमेंट नहीं देता है. ये काम करने कों अमेजॉन कोई इज्जत?
क्योंकि वह स्टोर भी ज्यादा दूर नहीं होगा, इसलिए ज्यादातर प्रोडक्ट क़े डैमेज होने के संभावनाएं भी कम रहेंगी। इसके चलते रिलायंस पैकेजिंग ट्रांसपोर्टेशन और और लेबर के उस कॉस्ट से बच जाएगा जो अमेजॉन के लिए अरबों का घाटा साबित होता है। अब सवाल आता है, रिलायंस जैसी बिलीयन डॉलर कंपनी अपने 1200 रिटेल स्टोर से इतना फायदा उठा सकती है. तों अमेजॉन भी ये काम क्या नहीं कर सकती? जबकि वो तों एक ट्रिलियन डॉलर कंपनी है। जिसके पास इतना पैसा है, अगर वह चाहे तो रिलायंस के हर एक रिटेल स्टोर के बगल में अपना अमेजॉन स्टोर खोल सकता है। लेकिन असल में दोस्तों अमेजॉन चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता है. क्योंकि हमारा इंडियन गवर्नमेंट उसको यह काम करने का परमिशन नहीं देता दरअसल साल 2018 के बाद से गवर्नमेंट कई ऐसे पॉलिसी लेकर आई है, नए नियमों के अनुसार अब कोई भी विदेशी कंपनी भारत की सुपर मार्केट की चैन के शेयर को 51 % से ज्यादा ऑन नहीं कर सकती है। ऐसे में अमेजॉन के लिए भारत के अंदर रिलायंस इतनी बड़ी और चैन बना पाना ऑलमोस्ट इंपासिबल हो जाता है।
इसके अलावा भारत के अंदर अमेजॉन का एक ऐसा हिस्सा ख़त्म होने क़े कगार पर पहुंच चुका है. जो अमेजॉन क़े लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है। और अगर यह हिस्सा सच में खत्म हो गया तों अमेजॉन इंडियन मार्केट से टाटा बाय-बाय भी कह सकती है। दरअसल भारत के अंदर अमेजॉन अपनी दो अलग-अलग मॉडल्स मार्केट प्लेस मॉडल और इन्वेंटरी मॉडल के जरिए ऑपरेट करती है, मार्केट प्लेस में अलग-अलग सेलर्स अपने प्रोडक्ट बेचते हैं. दोस्तों इस मॉडल में अमेजॉन केवल बायर और सेलर्स को मिलाने का काम करता है। इसके अलावा इन्वेंटरी मॉडल की अगर बात करे तों इसमें अमेजॉन खुद सेलर्स से एक साथ बल्क में प्रोडक्ट खरीद ता है. फिर उन प्रोडक्ट कों अपने मन मुताबिक दामों पर बेच देता है. क्योंकि बल्क में खरीदने की वजह से अमेजॉन कों वो प्रोडक्ट काफी कम कीमत में मिल जाते हैं। इसलिए मार्केट प्लेस मॉडल की तुलना में इन्वेंटरी मॉडल अमेजॉन के लिए कई गुना ज्यादा लाभदायक साबित होता है। और यही वजह है भारत के अंदर क्लाउड्टेल और अप्परिओ जैसे बड़े क़े साथ पार्टनरशिप करके अमेजॉन नें अपना इन्वेंटरी मॉडल शुरुआत से ही सेटल कर लिया था। यानी तरह से कुल मिलाकर अगर देखें तों अमेजॉन और रिलायंस के इस बिजनेस को वार में बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जो रिलायंस के फेवर में नजर आ रही है, और इन सभी चीजों को देखते हुए यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि रिलायंस इस मुकाबले में अमेजॉन को कड़ी टक्कर देने वाला है।