श्रीलंका इस वक्त भयानक आर्थिक संकट से गुजर रहा है, श्रीलंका में अब लोगो का गुस्सा फूटने लगा है। 31 मार्च की देर रात सैकड़ों लोगों की भीड़ नें राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे के आवास के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन किया हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी पोस्टर लहराते हुए नारेबाजी करते रहे। इस दौरान उनका पुलिस के साथ टकराव भी हुआ हालात इतने बिगड़ गए कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बुलानी पड़ी प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति से इस्तीफे की मांग करते हुए नारेबाजी कर रहे थे। जैसे ही पुलिस ने उन्हें खदेड़ने की कोशिश की स्थिति बिगड़ गई भीड़ ने पुलिस पर बोतलें और पत्थर फेंके। बाद में पुलिस को प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज का इस्तेमाल करना पड़ा इस तरह नाराज लोगों ने पुलिस के एक बस को भी आग के हवाले कर दिया। आपको बता दें कि 30 मार्च की शाम सभी लोग राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे के निवास के पास रोड पर एकत्रित होने लगे थे, और दिन ढलते ढलते यह संख्या काफी बढ़ गई।
श्रीलंका में आर्थिक संकट राष्ट्रपति से पद के इस्तीफे की मांग!
लोगों की मांग है कि गोटाभाया और उनका परिवार सत्ता छोड़कर जाए बता दें श्रीलंका की सियासत में इस समय गोटाभाया परिवार का बोल बाला है। गोटाभाया राजपक्षे राष्ट्रपति है जबकि उनके बड़े भाई महिन्द राजपक्ष प्रधान मंत्री के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं, सबसे छोटे भाई Basil Rajapaksa वित्त विभाग संभाल रहे हैं। और सबसे बड़े भाई चमल राजपक्षे कृषि मंत्री है, श्रीलंका इस समय भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। महंगाई नें यहां सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, जिसकी वजह से लोगों के लिए पेट भरना तक भी मुश्किल हो गया है। देश में इंधन और गैस की भारी कमी हो गई है, हालात ये हैं कि पंपो पर लोगों को पेट्रोल डीजल के लिए कई घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है।
श्रीलंका के लोग बिजली पानी गैस जैसी सामान्य समस्याओं से जूझ रहे हैं?
कागज की कमी के चलते शिक्षण संस्थानों की परीक्षा अनिश्चित काल के लिए स्थगित करनी पड़ी है। श्रीलंका में 31 मार्च की शाम डीजल नहीं था, इसके चलते ट्रांसपोर्ट ठप हो गया और इसके साथ ही देश में 2.2 करोड़ लोगों को काफी लंबे समय तक बिजली की कटौती का सामना करना पड़ा। जिस समय प्रदर्शन हुआ राष्ट्रपति ने अपने आवास पर नहीं थे, गौरतलब है कि श्रीलंका अब तक की सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। और हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, सरकार के पास लाइट जलाने के लिए भी पैसे नहीं है। कोलंबो के एडवो काटा इंस्टिट्यूट थिंग्स के अध्यक्ष मुर्तजा मुझाफरी इन खराब हालातों की वजह सरकारी प्रबंधों को मानते हैं, देश में महामारी से ठीक पहले कर में कटौती की गई सरकार ने कई परियोजनाओं सार्वजनिक धन को भी बर्बाद कर दिया। जिसमें कमल के आकार की गगनचुंबी इमारत में खर्च होने वाला खर्च भी शामिल है, मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने हालात को देखते हुए कई जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया है। बता दे श्रीलंका की आर्थिक स्थिति कोरोना वायरस महामारी के बाद काफी मुश्किल हालात में पहुंच गई है, श्रीलंका इस समय विदेशी मुद्रा की भारी कमी से जूझ रहा है। जिसकी वजह से तेल ऊर्जा गैस की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, श्रीलंका ने मित्र देशों से संकट की घड़ी में मदद करने को कहा है इस समय श्रीलंका में हर दिन 10 घंटे की बिजली कटौती हो रही है।