उत्तर प्रदेश (UP) क़े मुख्य मंत्री (CM) योगी आदित्य नाथ की सरकार नें बड़ा फैसला लेते हुए अपनें पुलिस महकमे क़े सबसे बड़े अफसर पर कार्रवाई की है। मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ नें बुधवार को DGP मुकुंद गोयल कों हटा कर उनका ट्रांसफर कर दिया है. मुकुल गोयल को सिविल सिक्योरिटी क़े पद पर भेज दिया गया है। उन्हें शासकीय कार्यों की अवहेलना करने विभागीय कार्यों में रुचि ना लेने और अकर्मण्यता क़े चलते हटाया गया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी DGP कों शासकीय कार्यों में रुचि न लेने के कारण हटा दिया गया है। चर्चा की मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की ओर से ऐसा फैसला कानून-व्यवस्था ठीक करने का संदेश देने के लिए किया गया है। DGP का कार्य-भार नए डीजीपी की तैनाती तक (ADG) कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार को सौंप दी गई है। 22 फरवरी 1964 कों उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जन्मे मुकुंद गोयल यूपी कैंडिड सन 1987 बैच के (IPS) अधिकारी हैं. तक़रीबन 35 साल की लंबी नौकरी में उन्होंने कई अहम पदों पर भी काम किया और उन्हें उनके काम के लिए सम्मान भी मिला। (IPS) अधिकारी बनने से पहले प्रशांत गोयल नें IIT दिल्ली से इलेक्ट्रिकल में बीटेक करने के साथ मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री हासिल की थी।
DGP गोयल को पद से हटाया, जाने क्या है वजह ?
अहम तैनाती ओं के साथ ही मुकुंद गोयल का विवादों से भी गहरा रिश्ता रहा है. कुछ घटनाओं के चलते उनकी कार्य-शैली पर भी सवाल उठे। इसी कड़ी में 2000 में प्रशांत मुकुल गोयल को SSP क़े पद से सस्पेंड कर दिया गया था. ज़ब में बीजेपी विधायक निर्भय पाल शर्मा की हत्या हो गई थी। यही नहीं साल 2006 के कथित पुलिस भर्ती घोटाले में कुल 25 IPS अधिकारियों का नाम सामने आया था. जिसमें प्रशांत मुकुल गोयल का नाम भी शामिल था। पुलिस भर्ती घोटाले में नाम आने पर मुकुल गोयल निलंबित भी हुए थे. इसके अतिरिक्त मुजफ्फरनगर दंगा भी के कार्यकाल में हुआ तब प्रशांत मुकुल गोयल DGP कानून-व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात थे। वहीं मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की पसंद में हमेशा तेज तर्रार और ईमानदार अफसर ही आते रहे हैं। उधर जून 2021 में प्रशांत मुकुल गोयल का चयन बताओ और एक ADGP हुआ तों यें माना गया कि वो सरकार की पसंद नहीं है।