इलाहाबाद हाई कोर्ट में समलैगिकों की शादी से जुड़े एक बड़ा फेसला सुनाया है। दरअसल दो लड़कियों ने अपनी शादी की मानता देने की गुहार लगायी थी, उन्होंने हाई कोर्ट से खुद के बालिक होने की बात कही और इस आधार पर दोनों नें अपनी शादी कों मान्यता देने की मांग की थी। उन्होंने कोट को बताया कि दोनों ने आपसी सहमति से समलैगिकों शादी की है, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने समलैंगिक जोड़े के शादी को मान्यता देने से इंकार कर दिया।
प्यार में डूबी दो सहेलियों ने रचाई शादी HC ने सुनाया बड़ा फैसला?
दरअसल एक महिला ने इलाहाबाद हाइकोर्ट से अपने बेटी की कस्टडी मागी थी, उन्होंने आरोप लगाया था। कि एक दूसरी लड़की उनकी बेटी को जबरन बंधक बना कर रखें हुए है। इसके बाद कोर्ट के निर्देश पर दोनों लड़कियां अदालत के सामने पेश हुई उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि वो दोनों बालिक है, हिन्दू विवाह अधिनियम में समान लैगिक विवाह का साफ तोर पर विरोध नहीं किया गया है। यहीं कारण है, कि उनकी शादी को मान्यता दी जाये अगर उनकी शादी को मान्यता नहीं दी गई तो यह उनके मैलिक अधिकारों का हनन होगा। दुनिया भर की 25 देशों ने समान लैगिक विवाह को मान्यता दी है, सरकारी वकील ने हाइ कोर्ट को बताया था कि भारतीय सभ्यता और संस्कारों में समलैंगिक शादी गलत है। किसी कानून ने समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं दी गई है, इस कारण समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं दी जा सकती है। इस तरह की शादी में संतान पैदा नहीं किया जा सकता है, इस तरह शादी भारतीय परिवेश के खिलाफ़ है। यह हमारी संस्कृति की अवधारणा से पूरी तरह अलग है, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तमाम दलितों को सुनने के बाद समलैंगिक जोड़े के शादी को मान्यता देने से इंकार कर दिया।