भारत सरकार ने गेहू के निर्यात पर लगाया था बैन ।
भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है ,लेकिन अब बंदरगाहों पर अटके उस गेहूं के निर्यात को मंजूरी दे दी है। जो महज सीमा शुल्क विभाग की मंजूरी का इंतजार कर रहे थे। गेहूं के निर्यात पर लगाए गए इस प्रतिबंध को लेकर किसान नेता योगेंद्र यादव की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है, उन्होंने एन डी टीवी पर एक चर्चा के दौरान कहा कि ऐसे हालात से बिल्कुल साफ है कि इससे सीधे नुकसान किसानों को होगा। सरकार की नीतियों पर व्यंग कसते हुए योगेंद्र यादव यादव ने कहा कि इस देश में कृषि संबंधी आयात निर्यात नीति तो सिर्फ उद्यमियों के मुनाफे आदि के लिए ही चलती है लेकिन जो अनाज उत्पादक किसान हैं उनके लिए कहीं कोई खास नीति नहीं है।
भारत के पास गेहूं निर्यात के बेहतर अवसर।
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एनडी टीवी से एक चर्चा के दौरान योगेंद्र यादव ने कहा की यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध की वजह से पहले कहा जाता था कि भारत के पास बेहतर अवसर है क्योंकि यूक्रेन जो दुनिया को बहुत बड़ी मात्रा में गेहूं दिया करता था वह खुद युद्ध में उलझा हुआ है। ऐसे में शुरुआत में यही लग रहा था अगर गेहूं की अच्छी फसल होगी तो आपके पास बेहतर अवसर था जिसमें किसी तरह का संदेह हो भी नहीं सकता था।
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किसानों को नहीं मिले गेहूं के उचित दाम!
योगेंद्र यादव ने आगे कहा था कि ऐसे अवसर में सरकार ने जो खरीदी किसानों से की है उसमे भी किसानों को सामान्य से ज्यादा पैसा नहीं दिया गया। योगेंद्र यादव ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के उचित दाम का भी जिक्र किया उन्होंने कहा कि इस बार बेहतर अवसर की उम्मीद थी लेकिन बीच में ही पता चला इस बार तो गेहूं की फसल ही कमजोर है।
योगेंद्र यादव द्वारा किसानों के लिए सरकार से की गई मांग !
कृषि विशेषज्ञों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक कृषि विशेषज्ञ यही कह रहे थे कि इस बार अंतरराष्ट्रीय स्थिति का फायदा मिल सकता है जो कि मिलता हुआ दिख नहीं रहा। किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि अभी भी किसानों के पास बहुत सा गेहूं है जो बिका नहीं है ऐसे में उन्होंने किसानों को ₹200 से रु 250 प्रति कुंटल बोनस दिए जाने की इच्छा जताई उन्होंने कहा कि किसानों ने बहुत बड़ी मात्रा में गेहूं रोक रखा है ऐसे में सरकार अगर उन्हें बोनस दे तो वे अपना स्टॉक गेहूं भी बेच देंगे जिससे एफसीआई के पास पर्याप्त स्टॉक हो जाएगा। इस खबर में फिलहाल इतना ही।
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