सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी बीमा कंपनी LIC के IPO को लेकर केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है IPO की तय प्रक्रिया पहले के तरह ही जारी रहेगी। आपको बता दें कि (BSE) और (NSE) पर LIC के शेयर्स की लिस्टिंग से पहले ही IPO का विरोध कर रहे पॉलिसी होल्डर्स सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए है। ये पॉलिसी होल्डर्स LIC और IPO पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे. और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली गई थी। हालांकि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने LIC-IPO पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ये निवेश का मामला है। इससे पहले ही 73 लाख सब्सक्रिप्शन बन चुके हैं ऐसे में मामले में हम कोई अंतरिम राहत नहीं दे सकते अंतरिम राहत देने का मामला ही नहीं बनता है। हालांकि कोर्ट IPO की संवैधानिक वैधता का परीक्षण करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए मनी बिल के जरिए केंद्र को नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत नें मामले को मनी बिल को लेकर पहले से संविधान पीठ में चल रहे मामले के साथ टैग कर दिया है और कहां है कि यह मुद्दा संविधान पीठ द्वारा विचार के योग्य है।
LIC IPO पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. मामले की सुनवाई में जस्टिस डीवाई चंद्रचूर ने कहा कि IPO मामलों में अदालत कों अंतरिम राहत देने में अना चुक होना चाहिए। मनी बिल का मामला 2020 में संविधान पीठ को भेजा गया है. फैसला 7 जजों की बेंच सुनवाई कर तय करना है। इसलिए हम इस मामले में नोटिस जारी कर इस मामले के साथ टैग करेंगे. हम इस मामले में किसी तरह का अंतरिम राहत का आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। इस पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूर जैसे सूर्यकांत जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की है। वही याचिकाकर्ता की तरफ से पेश इंदिरा जयसिंह का कहना है कि पहले LIC का सारा सर प्लस पॉलिसी होल्डर्स को जाता था। इस संशोधन से पहले 95 फ़ीसदी सर प्लस पॉलिसी होल्डर्स को और 5 फ़ीसदी केंद्र सरकार के लिए जाता था. इस मनी बिल के जरिए संशोधन करके पॉलिसी होल्डर्स का हिस्सा शेयर होल्डर्स को दे दिया गया। तीसरे पक्ष का अधिकार बना दिया गया 4 मई को ही आईपीओ है लेकिन अब एलॉटमेंट शुरू होना है. इसलिए किसी तरह की अंतरिम राहत दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने अप्लाई किया है उनके हित को बचाते हुए ये राहत मिली चाहिए।
इंदिरा जयसिह नें कोर्ट में क्या दी थी दलील ?
इंदिरा जयसिंह ने दलील भी दी और कहा कि यह तो जनता का पैसा है जिसे बहुत चालाकी से एलआईसी कंपनी का धन बनाया जा रहा है। पॉलिसी धारकों का पैसा अब धारकों को दिया जाएगा ऐसे में आईपीओ के लिए निवेश किया गया रुपया अकाउंट में ही हाइट किया जाए। हालांकि केंद्र सरकार ने इसका विरोध किया केंद्र सरकार का कहना है कि देश का सबसे बड़ा आईपीओ है. अभी तक 73 लाख सब्सक्रिप्शन हो चुके हैं। 900 रूपये इसका शेयर प्राइस है. 4 मई से ही आईपीओ शुरू हुआ है. मद्रास हाई कोर्ट इस पर अपना फैसला दे चुका है और बॉम्बे हाई कोर्ट भी इंकार कर चुका है। सरकार का कहना है कि 2021 में ये मनी बिल पास हुआ यह लोग 15 महीने तक इंतजार करते रहे और यह आप अंतरिम राहत की मांग लेकर आए हैं जो यहां चुनौती दे रहे हैं 15 हजार रुपए के पॉलिसी होल्डर्स है. लेकिन जो नुकसान होगा उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।