देश में कोरोना की दूसरी लहर कम करने के लिए और तीसरी लहर के प्रकोप से बचने के लिए देश में टिकाकरण अभियान चल रहा है। अब तक पुरे देश में 22 करोड़ से ज्यादा लोगो को वैक्सीन लग चुकी है। लेकिन वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर और वैक्सीन नीति पर सवाल खड़े हो गए है। टीकाकरण के लिए सरकार ने जो नीति बनाई थी वो सवालों के घेरे में है। विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाने का दावा करने वाली सरकार अब खुद के वैक्सीन नीति पर घिर गयी है। वैक्सीन नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है।
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टीकाकरण अभियान को लेकर सर्वोच्च अदालत ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। जैसा की हम जानते है 1 मई से सरकार ने 18 साल से ज्यादा वालो के लिए टीका लगाने का आदेश दिया था। इसके बाद से ही देश में वैक्सीन की किल्लत होनी शुरू हो गयी। बिना वैक्सीन का पर्याप्त व्यवस्था किये ही सरकार ने जल्दबाजी में यह फैसला किया था ये एक बड़ा सवाल है।
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इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 18 – 44 साल के लिए मौजदा वैक्सीन नीति को तर्कहीन और मनमानी बताया है। कोर्ट ने केंद्र से पूछा की आम बजट में वैक्सीन के लिए 35 करोड़ का एलान हुआ था उसका इस्तेमाल अब तक क्यों नहीं हुआ है ? वैक्सीन की कमी को लेकर कोर्ट ने कहा की जब देश के नागरिकों के अधिकार संकट में हो , तब अदालत इस तरह से मूकदर्शक नहीं बन सकती है।
अब ऐसे में देश की सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से वैक्सीन नीति का पूरा हिसाब – किताब मांगा है। अब केंद्र सरकार को कोर्ट के सामने सरे व्योरा देना होगा। वैक्सीन कब और कितनी खरीदी गयी , पूरे देश में वैक्सीन लगाने को लेकर सरकार का क्या प्लान है ? इन सभी सवालों के जवाब केंद्र सरकार को अगले दो हफ्ते में देने होंगे।
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देश में टीकाकरण के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए तवज्जों दी जा रही है। कोर्ट ने इस पर भी सवाल खड़े किये है। कोर्ट ने कहा देश के ग्रामीण इलाकों में बड़ा तबका ऐसा है , जो इंटरनेट की सुविधा से नहीं जुड़े है। ऐसे लोगो के लिए सरकार क्या प्लान बना रही है ? उनका रजिस्ट्रेशन कैसे होगा ? और टीका कैसे लगेगा ? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया की लोगो की परेशानियों को दखते हुए वैक्सीन नीति में बदलाव करे और फिर तैयार करे। वैक्सीन नीति को लेकर विपक्ष भी लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर रहा है। विपक्ष ने भी सरकार के काम काज पर सवाल उठाते रहा है।