पिछले कुछ दिनों से पुरे देश में हर तरफ टूलकिट मामला बड़ा चर्चा में है। ऐसे में बहुत से लोग अभी भी इस मामला को समझ नहीं पा रही है आखिर ये मामला है क्या और टूलकिट पर संबित पात्रा घिरे हुए क्यों है। तो हम आज आपको बड़े ही सरल भाषा में इस पुरे मामले को बताने वाले है।
आइये जानते है की ये मामला कब शुरू हुआ ?
18 मई – बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर संबित पात्र ने ट्वीट करते हुए एक फोटो शेयर की। उस फोटो को वो कांग्रेस का टूलकिट बताते है। पात्र ने कहा की इस टूलकिट की मदद से कांग्रेस कोरोना के मैनेजमेंट को लेकर पीएम मोदी को बदनाम कर उनकी छवि को खराब करने के लिए इस्तेमाल कर रही थी। जैसे ही पात्रा ने यह सवाल किया कांग्रेस ने उसपर पलटवार करते हुए इसका विरोध जताया और इस टूलकिट को फर्जी बताते हुए कहा की पात्रा ने जो फोटो शेयर किया है वो भी फर्जी दास्तावेज है।
20 मई – जिस ट्वीट को संबित पात्रा ने किया था उसको ट्विटर ने मैनिपुलटेड मीडिया का टैग लगा देता है। फिर यहाँ से शुरू से होती है राजनितिक उठापठक जैसा अपने देश की रीतिरिवाज है।
21 मई – बीजेपी के अन्य नेताओ के ट्वीट को भी मैनिपुलटेड मीडिया का टैग दिया जाता है जिसमे विनय सहस्त्रबुद्धे।,प्रीति गाँधी , सुनील देवधर , चारु प्रज्ञा।, कुलजीत सिंह चहल आदि नेता शामिल है।
22 मई – ट्विटर को केंद्र सरकार के तरफ से एक नोटिस ट्वीटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी को भेजी जाती है और उस नोटिस में लिखा जाता है की टूलकिट से जुड़े मामले के दस्तावेज़ लेकर वो स्पेशल सेल के ऑफिस जाए। 22 मई को भी मनीष को पुलिस के सामने पेश होना था, लेकिन मनीष ने यह बोलते हुए पुलिस के सामने नहीं जाते है की इस मामले में वो अथॉरिटी नहीं है।
25 मई – ट्विटर के अमेरिका मुख्यालय में ट्विटर इंडिया को नोटिस भेजे जाने की सुचना दी जाती है। इसपर अब ट्विटर ने अपने वरिष्ठ अधिकारीयों को इस मामले में लगाया में है।