देश में राजनीति सबसे ऊपर है। इस बात को प्रमाणिकता की कोई जरूरत नहीं है। पश्चिम बंगाल में अब चुनाव खत्म होने के बाद भी राजनीति शुरू एक बार फिर शुरू हो गयी है।
बंगाल में सीबीआई ने टीएमसी के नेताओं को नारदा स्टिंग ऑपरेशन में गिरफ्तार किया। इन नेताओ में ममता बनर्जी की सरकार के 2 मंत्री शामिल है। नारद स्टिंग ऑपरेशन बंगाल विधानसभा 2016 चुनाव में टूल पकड़ा था। नारदा मामले में टीएमसी के मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी , मदन मित्रा ,और टीएमसी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को सीबीआई ने कोलकाता में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद ही अब पुरे बंगाल में राजनीती शुरू हो गयी है। टीएमसी के समर्थक सीबीआई दफ्तर के बाहर हंगामा और विरोध प्रदर्शन करने लगे है। खबर लगते ही ममता बनर्जी भी सीबीआई दफ्तर पहुंच गयी।
आइये बताते है की आखिर ये नारदा स्टिंग टेप मामला क्या है।
बताया जाता है की 2014 में टीएमसी के कुछ नेताओ मंत्री,सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले लोगो के साथ एक काल्पनिक कंपनी के नुमाइंदे से पैसे लेते हुए दिखाया गया था। इस स्टिंग ऑपरेशन को कथित तौर पर नारद न्यूज़ पोर्टल के साथ मिलकर मैथ्यू सैमुअल ने किया था जिसके बाद ये मामला कलकत्ता हाई कोर्ट में पहुंचा। हाई कोर्ट ने 2017 में इस मामले की पूरी जांच सीबीआई को सौपी थी। उसके बाद सीबीआई और ईडी ने इस पुरे मामले की जांच शुरू की, जिसके बाद ईडी ने नवंबर 2020 में नेताओं को एक नोटिस भेज कर उनके व्यय का पूरा हिसाब किताब मांगा था।
अब इस मामले में राजनीति क्यों हो रही है ? आइये समझते है।
सीबीआई की शिकायत के आधार पर ईडी ने 12 नेताओ पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। इस मामले में एक आईपीएस अधिकारी के साथ – साथ 14 अन्य लोगो के ऊपर भी मामला दर्ज हुआ था। इन 12 नेताओ में से एक नाम सुवेंदु अधिकारी भी था जो इस बीजेपी में है और बीजेपी ने उनको नेता विपक्ष बनाया है। इनके आलावा मुकुल राय , मदन मित्रा भी बीजेपी में है। जबकि सोवन चटर्जी ने बीजेपी छोड़ दी थी।