अमूमन देश में देखा जाता है कि जब किसी राज्य में चुनाव होने वाला हो तब वहां पर सियासी हलचल देखने को मिल जाती है। लेकिन अभी बिहार में विधानसभा चुनाव कुछ वक्त पहले ही खत्म हुआ है और एक बार फिर बिहार में राजनीति की सुर्खियां आने लगी। खबर है लोक जनशक्ति पार्टी से जिसमें नाराज विधायकों ने पार्टी को छोड़ने का ऐलान किया है। एलजेपी में फूट पड़ गई। इस फुट के चिराग पासवान अकेले पड़ गए है।
LJP का इतिहास
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पार्टी से नाराज चल रहे चार सांसदों ने लोक जनशक्ति पार्टी को छोड़ने का फैसला कर लिया है। आपको बता दें इस पार्टी के मुखिया और दिवंगत नेता रामविलास पासवान इस पार्टी का गठन सन 2000 में किया था। उनकी मृत्यु के 8 महीने बाद ही पार्टी टूट गई।
चिराग पासवान को अपनों ने दिया धोखा
बताया जा रहा है कि इसके पीछे रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस का हाथ है। लोक जनशक्ति पार्टी में चार सांसद चंदन सिंह ,वीणा देवी ,और प्रिंस राज ने सांसद पशुपति पारस को अपना लोक जनशक्ति पार्टी संसदीय दल का नेता चुना। इस घटना के बाद से चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए हैं ।
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NDA से अलग होने का फैसला चिराग पासवान को पड़ा भारी
आपको बता दें इस पार्टी को तोड़ने की साजिश बिहार विधानसभा चुनाव से ही शुरू हो गई थी जब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होने का फैसला कर दिया था। चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने एनडीए से अलग होने के फैसले पर आपत्ति जताई थी लेकिन चुनाव के दौरान रामविलास पासवान की मृत्यु के वजह से पार्टी के नेताओं ने चिराग पासवान के इस फैसले पर खुलकर विरोध नहीं कर पाए।
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JDU ने चिराग पासवान से लिया बिहार चुनाव का बदला ?
खबर है कि चुनाव के बाद से ही नितीश कुमार की पार्टी ने एलजेपी पार्टी को तोड़ने की साजिश में लग गई थी। चिराग पासवान की पार्टी से एक ही विधायक जीत पाया था और उसको नीतीश कुमार की पार्टी ने अपनी पार्टी में मिला लिया। यह पहली सफलता थी जब जेडीयू ने पासवान को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा कदम उठाया। और इस सफलता के बाद से ही जेडीयू अपने अगले ऑपरेशन में लग गई,और आज पार्टी में फूट पड़ गई।
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