मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 2 साल पूरे होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करने की तैयारी में लगे हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस संबंध में बैठक की। खबर है कांग्रेस छोड़ कर आये ज्योतिरादित्य सिंधिया को 15 महीने हो चुके है ऐसे में इनको केंद्र में कोई अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है।
यह भी पढ़े :देश में थम रही है कोरोना के दूसरी लहर की रफ़्तार , मौत के आंकड़े चिंताजनक
कामनाथ कि सरकार गिराने में निभाया अहम रोल
विषय सूची
इसके बाद खबरें आने लगी कि मध्य प्रदेश में पिछले साल मार्च में कमलनाथ सरकार के तख्तापलट में अहम भूमिका निभाने वाले राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को जल्द ही मोदी कैबिनेट में जगह मिलने वाली है। सिंधिया के एक समर्थक और वरिष्ठ नेता ने बताया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को रेलवे की कमान संभालने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। सिंधिया को शहरी विकास या मानव संसाधन जैसे अहम मंत्रालय भी दिया जा सकता है।
यह भी पढ़े : ब्लैक फंगस की दवा हुई टैक्स फ्री, कोरोना वैक्सीन पर 5% जीएसटी अभी भी बरकरार।
15 महीने बाद बीजेपी दे सकती है बड़ा तोहफा
आपको बता दें कि सिंधिया को भाजपा में आए हुए 15 महीने हो चुके हैं। मनमोहन सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया कैबिनेट मंत्री रहे। मनमोहन की सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया टेलीकॉम, आईटी ,इंडस्ट्रीज, कॉमर्स जैसे मंत्रालय को संभाल चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया एक एक्टिव मंत्री के रूप में अपनी छवि बनाए हुए हैं और इसी के चलते उन्हें मोदी सरकार की कैबिनेट मंत्री मंडल में जगह मिलने की उम्मीद है।
यह भी पढ़े : शिरोमणी अकाली दल और बसपा के बीच हुआ गठबंधन, सीटों का बंटवारा भी तय।
युवा लीडरशिप बनाने कि तैयारी
सूत्रों के अनुसार आई खबर की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने अब यूथ लीडरशिप को डिवेलप करने में अपना ध्यान दे रही है। इस समय केंद्र के मंत्रिमंडल के कुछ नेता अतरिक्त मंत्रालयों के भार को संभाल रहे है। पियूष गोयल , किरण रिजिजू , नरेंद्र सिंह तोमर और प्रकाश जावड़ेकर के पास अपने मंत्रालयों के अलावा अतिरिक्त मंत्रालयों के भार को अपने कंधे पर लिए है जिसको कम करने के लिए मत्रिमंडल का विस्तार होने कि सम्भावना है।
यह भी पढ़े : धारा 370 पर एक बार फिर छलका दिग्विजय सिंह का दर्द, कहा धारा 370 हटाना अत्यंत दुखद निर्णय।