राम मंदिर के जमीन ख़रीदारी में हुआ घोटाला
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अयोध्या में बन रहे राम मंदिर एक बार फिर विवादों में आ गया है। यह विवाद मंदिर को लेकर के नहीं बल्कि मंदिर के लिए खरीदे गए जमीन को लेकर है। समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी की ओर से आरोप लगाया गया कि राम मंदिर की जमीन की खरीद के नाम पर कई करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है।
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बीते रविवार को समाजवादी पार्टी के नेता इस घोटाले का खुलासा करते हैं। इस घोटाले के खुलासे के बाद से ही सियासत गरमा गई है। सपा नेता ने आरोप लगाया दो करोड़ की जमीन को ट्रस्ट ने साढे₹18 करोड़ में खरीदा है। जमीन की कीमत करीब 2 करोड़ थी लेकिन महज 10 मिनट की डील पक्की हुई और उसकी कीमत साढ़े 18 करोड़ हो गई।
10 मिनट में दाम 9 गुना बढ़ गया
उस जमीन की कीमत महज 10 मिनट के बाद ही 16 करोड रुपए बढ़ गई। इस हिसाब से देखा जाए तो जमीन की कीमत प्रति सेकंड साडे ₹5 लाख रूपए महंगी होती चली गई है। इस जमीन की कीमत महज 10 मिनट में ही करीब 9 गुना बढ़ गया है। आपको बता दें बीते 18 मार्च को ही उस जमीन की डील हुई थी।
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इस जमीन को खरीदने के लिए दो डील हुई। इन दोनों डील में महज 10 मिनट का फर्क है। सबसे बड़ी बात कि इन दोनों डील में गवाह एक कॉमन व्यक्ति ही है। नाम की बात करें तो उसमें एक नाम अनिल मिश्रा का है जो राम जन्म भूमि ट्रस्ट के सदस्य हैं और दूसरा नाम अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का है।
चम्पत राय का इन आरोपों से खंडन
उपाध्याय जी से इस मामले में पूछा गया तो उन्होंने किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोपो को साफ-साफ इंकार कर दिया। आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह ने तो इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर डाली। इस आरोप पर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के चंपत राय ने भी भ्रष्टाचार के आरोपों का खंडन किया है।
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उन्होंने अपने पत्र में कहा कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में अभी तक जितनी जमीन खरीदी गई हैं वह खुले बाजार से बहुत कम दाम पर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि लोग राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित होकर भ्रम फैला रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि इस पर सरकार और प्रशासन किस प्रकार से अपना रिएक्शन देते हैं और क्या कार्यवाही होती है।
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