उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया। सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले में मेडिकल एजुकेशन से जुड़े अखिल भारतीय कोटे (AQI) में ओबीसी समुदाय के लिए बड़ा फैसला किया गया है। अखिल भारतीय कोटे योजना में सरकार ने ओबीसी के लिए 27 फ़ीसदी जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी EWS के लिए 10 फ़ीसदी सीटें आरक्षित करने का फैसला किया है। मोदी सरकार के इस फैसले को अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नजरिए से देखा जा रहा है।
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आपको बता दें ओबीसी समुदाय के वोटरों का एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में है जिसको हर राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने नजर में रखती है। ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस आरक्षण के फैसले से ओबीसी समुदाय का वोट विधानसभा चुनाव पर असर डालेगा। इस फैसले के बाद से उत्तर प्रदेश के अन्य राजनीतिक पार्टियों ने अब बयानबाजी शुरू कर दिए हैं।
चुनाव से जोड़ कर क्यों देखा जा रहा है यह फैसला?
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केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए यह मास्टर स्ट्रोक साबित होगा,क्योंकि उत्तर प्रदेश में ओबीसी समुदाय के वोटरों की संख्या अधिक है और वह लंबे वक्त से अन्य अन्य स्तरों पर मेडिकल एजुकेशन से जुड़े छात्र इस मसले पर प्रदर्शन करते रह रहे हैं। इस प्रदर्शन की मुझे लखनऊ से होते हुए दिल्ली तक पहुंची। कुछ दिन पहले अनुप्रिया पटेल सहित अन्य यूपी के नेताओं ने और ओबीसी समुदाय से आने वाले कुछ मंत्री प्रधानमंत्री मोदी से इस मसले पर मुलाकात भी की थी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर क्या होगा असर ?
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में करीब 50 फ़ीसदी वोटर ओबीसी समुदाय से ही आते हैं। भारतीय जनता पार्टी को 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत की वजह ओबीसी समुदाय को ही माना जा रहा था। अगर इस 50 फ़ीसदी वोटरों में से बात करें तो करीब 40 से 42 फ़ीसदी वोटर यादव समुदाय से आते हैं जिस पर बीजेपी निशाना साधने की कोशिश कर रही है। इसलिए यह मेडिकल एजुकेशन से जुड़ा फैसला अगर लागू होता है तो यूपी में इसका बड़ा संदेश जाएगा और इसका सीधा सीधा असर 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर पड़ना स्वाभाविक है। पहले भी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा ओबीसी वोटरों को लुभाने की कोशिश होती रहती थी।
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मोदी कैबिनेट में अब यूपी से एक दर्जन मंत्री है शमिल
आपको बता दें जब मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ उसमें भी यूपी के कुल 7 नेताओं नेताओं को कैबिनेट में जगह दी गई। अब मोदी के कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से करीब एक दर्जन मंत्री आते हैं और इनमें से एक बड़ा हिस्सा ओबीसी समुदाय का भी शामिल है। केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का कितना असर होगा इसकी अगर बात करें तो हर साल लगभग 1520 विद्यार्थियों को एमबीबीएस में जबकि 2520 से विद्यार्थियों को पोस्ट ग्रेजुएट में इस फैसले के बाद से सीधा सीधा फायदा होने वाला है। वही 550 ईडब्ल्यूएस विद्यार्थियों को एमबीबीएस में तथा एक हजार ईडब्ल्यूएस विद्यार्थियों को अपना गोत्र में इसका सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है।
आपको बता दें कि अखिल भारतीय कोटे में सरकारी मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध यूजी सीटों में से 15% तथा कुल पीजी सीटों में 50% सीटें शामिल होती हैं। इससे पहले 2007 में AQI योजना के अंतर्गत कोई आरक्षण नहीं हुआ करता था लेकिन 2007 में जब सुप्रीम कोर्ट ने एआईटीओ योजना के तहत 80 के लिए 15% सीट और एसटी के लिए 7.5% सीटें आरक्षित करने की शुरुआत की थी।
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