जैसा की हम जानते है भारत की मौजूदा सरकार भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है। जिसका मकसद भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है ,जिसमे से एक क्षेत्र”रक्षा क्षेत्र ” भी है। जिसके तहत भारतीय कम्पनिया जैसे HAL(Hindustan Aeronautics Limited) और DRDO( Defence Research and Development Organisation ) नए नए हथियारों का परीक्षण और निर्माण करती रहती है। भारतीय HAL जहा तेजस Mk-1 और Mk-2 ,रुस्तम ड्रोन ,AMCA(Advanced Medium Combat Aircraft), और TEDBF(Twin Engine Deck Based Fighter) पर काम कर रही है, तो वंही दर्दो ब्रोमोस NG(Next Generation) और ER(Extended Range) ,रुद्रम एंटी रेडिएशन मिसाइल ,आकाश मिसाइल सिस्टम और अग्नि-5 प्राइम जैसे हथियारों पर काम कर रही है । इन भारतीय कम्पनियो का उद्देश्य भारत की घरेलू जरूरतों को पूरा करना है, साथ ही अपने हथियारों का निर्यात करना भी है।
भारतीय HAL ने RAFEL को पीछे छोड़ा।
भरतीय HAL ने इजराइल की हथियार निर्माता कम्पनी RafaeL Advanced Defense Systems को व्यापर के मामले में पीछे छोड़ दिया है। अब कुछ लोग ये सोचेंगे की राफेल तो फ्रांस का उत्पाद है ,तो आपकी जानकारी के लिए हम बता दे की ,राफेल फाइटर जेट को फ्रांस की कम्पनी “Dassault Aviation” बनती है, और “राफेल एडवांस डिफेन्स सिस्टम ” इजराइल की एक हथियार निर्माता कम्पनी है, जो आयरन डोम मिसाइल डिफेन्स सिस्टम ,आयरन बीम , स्पाइक और न जाने कौन कौन से खतरनाक हथियार बनती है। सीपरी के द्वारा जारी आकड़ो क मुताबिक भारतीय HAL ने वर्ष 2020 में हथियारों के व्यापर के मामले में 3.2 अरब डॉलर के व्यापर के साथ 41 वें स्थान पर है, तो वही इस्राल की राफेल 2.7 अरब डॉलर के व्यापर के साथ 44 वें स्थान पर है।HAL ने यह मुकाम तेजस फाइटर जेट के दम पे हासिल किया है ।
तुर्की TOP 50 के भी बाहर।
तुर्की जो हमेसा सबको अपने ड्रोन का दम दिखता है, वो TOP 50 में भी जगह नहीं बना सका । तुर्की की ड्रोन निर्माता कंपनी “TAI” 68 वें स्थान पर है। ऐसे में ये कहा जा सकता है की भारतीय HAL की दशा और दिशा दोनों सुधर रही है। जो भारत के आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान करेगी।