मौत के बाद सिद्दू मूसेवाला का पहला गाना रिलीज, गाने को सुनकर इमोशनल हुए फैंस

पंजाबी सिंगर सिद्दू मूसेवाला की मौत के बाद उनका पहला गाना ‘SYL’ रिलीज़ हो गया है। इस गाने को सुनकर सोशल मीडिया पर उनके कई फैंस इमोशनल हो गए अपनी दमदार आवाज से सिद्धू मूसेवाला नें इस गाने में जान डाल दी। इस गाने को लेकर देशभर में काफी चर्चा थी, क्योंकि यें गाना पंजाब और हरियाणा कें सबसे बड़े विवाद सतलुज-यमुना लिंक नहर पर आधारित है, जिसे शॉर्ट में ‘SYL’ नाम दिया गया है। सिद्धू मूसेवाला ने इस गाने में  सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद पर खुलकर दिल की बात सबके सामने अपने अंदाज में रखी। इस गीत में मूसेवाला ने ‘SYL’ नहर का मुद्दा उठाते हुए यें कहा कि पंजाब के पास किसी को देने के लिए पानी नहीं है। वही इस गीत में जेल में बंद सजा भुगत चुके सिखों की रिहाई के मामले को भी छुआ है। सिद्धू मूसे वाला के अभी काफी गीत रिलीज नहीं हुए उनके पिता का कहना है कि उनकी कोशिश रहेगी कि वे अपने बेटे को चार-पांच साल तक जिंदा रखें।

सिद्दू मूसेवाला कें अभी कई गाने रिलीज नहीं हुए है ?

सिद्धू मूसेवाला के गीतों को धीरे-धीरे रिलीज किया जाएगा, सूत्रों के मुताबिक उनके गीतों को 6-6 महीने बाद रिलीज किए जाने पर परिवार ने चर्चा की थी लेकिन कुछ सदस्यों का कहना है कि 1-1 माह के बाद गीतों को रिलीज किया जाना चाहिए। आपको बता दें सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर यें गाना सिद्धू मूसेवाला नें लिखा था। जो नदी के पानी पर पंजाब के अधिकारों और जेलों में बंद सिख कैदियों पर बना है। सिद्धू मूसेवाला कें जीवन का यें आखरी गाना है. उनके कई गानों पर विवाद भी हो चुका है बावजूद इसके फैंस उनके गाने कों खूब पसंद करते हैं। सिद्धू के इस गाने का फैंस को बेसब्री से इंतजार था।

सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद क्या है?



यें बात शुरुआत होती है साल 1966 में हरियाणा और पंजाब के बंटवारे से 1 नवंबर साल 1966 कों दोनों राज्य अलग हो गए लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे थे जो नहीं सुलझ सके और उनमें से एक ‘SYL’ दोनों राज्यों के बीच जमीन के बंटवारे के बाद जब पानी के बंटवारे की बात आई तब पंजाब नें रावी और व्यास नदी का पानी हरियाणा के साथ बांटने से मना कर दिया। ‘SYL’ कें निर्माण की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी और ये वही दौर था जब पंजाब में मिलीटेन से यानी आतंकवादी जोरों पर था। जैसे ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नें कपूरी गांव से ‘SYL’ कें निर्माण की शुरुआत की साल 1982 में अकलियों नें इसके विरोध में कपूरी मोर्चे का ऐलान कर दिया।

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