Tulsi Ke Niyam: पौराणिक काल से ही हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत ही पवित्र माना जाता है ऐसा कहा जाता है तुलसी विष्णु जी की बहुत ही प्रिय होती हैं और उनकी पूजा करने से जीवन में भौतिक सुख मिलता है लेकिन आपको बता दें कि तुलसी को पूजन के कुछ नियम होते हैं। इनकी नियमों का ध्यान ना देना देवी लक्ष्मी को नाराज कर देता है। आइए जानते हैं कि तुलसी जी की पूजा में किन नियमों का ध्यान देना चाहिए।
तुलसी को बिना स्नान के ना करे स्पर्श
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आपको बता दें कि तुलसी जी में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है, और इसीलिए बिना स्नान किए तुलसी दल को स्पर्श नहीं करना चाहिए ,ना ही तोड़ना चाहिए। इससे धन की देवी लक्ष्मी मां क्रोधित हो जाती हैं। स्नान के बाद ही तुलसी को प्रणाम कर पत्ता तोड़ना चाहिए। साथ ही साथ तुलसी का पत्ता सुबह या दिन में ही तोड़ना चाहिए। सूर्यास्त के बाद ऐसा करना से दुर्भाग्य आता है।ऐसी मान्यता है कि इससे विष्णु जी नाराज हो जाते हैं। ऐसा भी कहते हैं कि इससे धन-दौलत की हानि होती है।
रविवार को ना चढ़ाए जल
आपको बता दें कि शास्त्रों में रविवार, एकादशी, चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना मना है। इससे तुलसी पूजा का फल नहीं मिलता है। साथ ही साथ रविवार-एकादशी को भी जल न चढ़ाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन माता तुलसी विष्णु जी के निमित्त निर्जला व्रत रखती हैं। इसीलिए तुलसी की पूजा में सुबह के समय ही जल अर्पित करें, संध्याकाल में सिर्फ घी का दीपक लगाकर परिक्रमा करनी चाहिए। शाम को कभी भी जल नहीं चढ़ाया जाता।
बिना नाखून लगाए तोड़े तुलसी
अक्सर ही घरों में ऐसा होता है कि घर के सभी सदस्य एक-एक कर के बारी बारी से कलशभर के तुलसी में जल चढ़ाते हैं जो की बिल्कुल ठीक नहीं है। आपको बता दें अधिक जल से भी तुलसी सूख जाती है , और तुलसी का सूखना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए थोड़ा सा ही जल अर्पित करना चाहिए। ध्यान रहे कि तुलसी दल को सिर्फ धार्मिक या स्वास्थ कारण से ही तोड़े लेकिन इसके लिए नाखून की बिल्कुल भी मदद न लें। ऐसा करने पर आप पाप के भागी बन सकते हैं। तुलसी का पौधा कभी भी दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इस दिशा को अग्नि देव की दिशा माना जाता है।