डॉलर के मुकाबले रुपए का गिरना बदस्तूर जारी है नित नए रोज रुपए की वॉल्यूम में गिरावट के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। कोई इस पर चुटकी ले रहा है तो कोई सरकार को घेर रहा है लेकिन मसला दरअसल उससे भी ज्यादा गंभीर है। दरअसल भारत को रुपए में गिरावट को लेकर दबाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इस वित्तीय वर्ष में भारत को ज्यादा विदेशी ऋण चुकाना है. और आगामी वित्तीय वर्ष में भारत का व्यापार और ज्यादा बढ़ेगा। जिसे भारतीय विदेशी रिजर्व मुद्रा पर भारी दबाव बनने के आसार है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक कें आंकड़ों के मुताबिक अगले 9 महीनों में भारत को अपनी कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 40 फीसदी से अधिक धन से विदेशी ऋण भरना है। भारत के पास अभी कुल 621 बिलीयन डॉलर का फॉरेन रिजर्व है. इसमें से 267 बिलीयन डॉलर का विदेशी ऋण अगले 9 महीनों में चुकाना है यें भुकतान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 44 फ़ीसदी हिस्सा है। मौजूद फॉरेन रिजर्व और कर्ज की तुलना की जाए तो समझेंगे कि कर्ज चुकाने की अवधि कम और अगर इस बीच जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो रुपए पर दबाव पड़ सकता है।
तेल आयात की कठिनाइयों के कारण रिकॉर्ड घाटे में विश्व बाजार में मंदी का माहौल
इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक रुपए का मौजूदा स्थानीय माइक्रो सेटअप मुख्य रूप से तेल आयात की कठिनाइयों कें कारण रिकॉर्ड घाटे में है। इसके साथ-साथ विश्व बाजार में मंदी का माहौल और अमेरिका के बाजार में लगातार गिरावट नें भी रुपए की वैल्यू को प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध नें विश्व सप्लाई चैन को प्रभावित किया है. जिसकी वजह से विश्व को पेट्रोलियम और तमाम कमोडिटीज की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। जो अप्रत्यक्ष रूप से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी नेगेटिव प्रभाव डाल रहा है। सिर्फ जून की बात की जाए तो भारत कों इस माह में रिकॉर्ड 25.6 बिलीयन डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है। जून में हुए व्यापार घाटे की रिपोर्ट जारी होने के तुरंत बाद रुपए बीते मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.38 कें नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर जा पहुंचा है।
भारत पर भारी विदेशी कर्ज, कही श्रीलंका जैसे ना हों जाए हालात !
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है चालू घाटा या निर्यात से अधिक आयात भारत के फ़सल घरेलू उत्पाद का 3.1 प्रतिशत हो जाएगा जो पिछले साल मात्र 1.2 प्रतिशत था। देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर नहीं है फिलहाल भारत इससे पार पा लेगा लेकिन फिर भी श्रीलंका के हालातों को देखते हुए हर किसी के मन में भविष्य को लेकर डर पैदा होने लगा है. क्योंकि श्रीलंका में भी अर्थव्यवस्था का हाल बाद से बद बतर होता चला गया हालांकि भारत के पास अभी भी विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है लेकिन इसकी मात्रा लगातार घट रही हैं क्योंकि आरबीआई ने फरवरी में विदेशियों के रिकॉर्ड पोर्टफोलियो निकासी के प्रभाव को कम करने के लिए 41 बिलियन डॉलर की बिक्री की थी। 3 सितंबर 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.5 अरब डॉलर का था जों 24 जून तक गिरकर 593.3 अरब डॉलर हो गया है। विदेशी मुद्रा भंडार का 600 बिलीयन डॉलर से कम होना किसी भी लिहाज से अच्छा संकेत नहीं है।