भारत में अगर एक से अधिक शादी करने की बात होती है तो सबसे पहली तस्वीर जहन में मुसलमानों की ही उभरती है। यह आम धारणा है कि मुसलमान ही एक से ज्यादा बीवी रखते हैं इसके पीछे तर्क भी है कि 1 से ज्यादा बीवी रखना मुसलमानों में कानून सम्मत भी हैं। यह तो हुई वह बात जो आमतौर पर समझी और मानी जाती है लेकिन NSHS यानी नेशनल फैमिली हेल्थ की सर्वे की रिपोर्ट तो कुछ और ही कहती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक 1 से अधिक शादी करने का प्रचलन अन्य समुदायों में भी देखा गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एक से अधिक पत्नी रखने के मामलों में भी कमी देखने को अब मिलने लगी है।
भारत में बहुविवाह का प्रचलन हमेशा से ही कम रहा है
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तो अब आते हैं सीधे रिपोर्ट पर NSHS का डेटा 2020 कहता है कि 1 से अधिक शादी करने का प्रचलन मुसलमानों में 1.9 परसेंट है हिंदुओं में 1.3 फीसद है। तों वही अन्य धार्मिक समूहों में 1.6 फीसद देखा गया है। मुंबई के इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पापुलेशन स्टडीज के फैकल्टी की तरफ से किए गए 2005-6-2015-16 और 2019-2020 क़े तीन NSHS क़े सर्वे के आंकड़ों के विश्लेषण में यह बात सामने आई है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कुल मिलाकर गरीबा, शिक्षित, ग्रामीण और अधिक उम्र वालो में बहु पत्नी विवाह अधिक पाया गया।
एक से ज्यादा शादियां किस धर्म में होती है ?
रिपोर्ट कों बनाने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में क्षेत्र और धर्म के अलावा सामाजिक और आर्थिक कारण भी एक से ज्यादा शादियों के मामलों में ज्यादा भूमिका निभाते रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि भारत में बहु विवाह का प्रचलन हमेशा से ही कम हो रहा है और अब यह धीरे-धीरे पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर है। तो यह तो हुई धर्म सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रीय बात।
आर्थिक कारण भी एक से ज्यादा शादियों के मामले में ज्यादा भूमिका निभाते है
अब आते हैं सीधा जातियों पर तो जाति समूहों की बात की जाए तो अनुसूचित जनजातियों में एक से ज्यादा शादी करने का प्रचलन सबसे ज्यादा देखा गया है, इन जातियों में बहुविवाह का प्रतिशत कम होकर 2.4 प्रतिशत रह गया है। साल 2005-6 में यह 3.1 फीसद था। इसके बाद अनुसूचित जाति में बहुविवाह 2005-6 में 2.2 फीसद के मुकाबले 2019-20 में 1.5 फीसद कम है। इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि आदिवासी बहुल राज्य बहुविवाह का प्रचलन सबसे ज्यादा है। लेकिन क्योंकि अपवाद हर जगह देखने को मिलते हैं तो यहां भी कुछ अपवाद हैं? जैसे जहां अधिकांश राज्यों में मुसलमानों के बीच एक से ज्यादा शादी करने का प्रचलन सबसे ज्यादा है।
अधिकांश राज्यों में मुसलमानों के बीच एक से ज्यादा शादी करने का प्रचलन सबसे अधिक
तों वही छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मामला तो कुछ और ही है वही बहु विवाह की स्थिति ज़ब धार्मिक समूहों के हिसाब से देखते हैं तो अन्य धार्मिक समूहों में इसका सबसे बड़ा हिस्सा है 2.5 फीसद वही इसके बाद ईसाइयों में 2.1 फीसद इसके बाद मुसलमान और फिर आते ही हिंदू, ईसाइयों के बीच एक से अधिक विवाह का उच्च प्रसार पूर्वोत्तर राज्यों के कारणहो सकता है ऐसा माना जा रहा है। इन राज्यों यह प्रथा अधिक आम है सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है उच्च शैक्षणिक योग्यता रखने वालों की तुलना में बहु पत्नी विवाह सबसे गरीब महिलाओं बिना औपचारिक शिक्षा प्रणाली वाली महिलाओं में अधिक प्रचलित हैं। एक सच यह भी है कि अधिक साक्षरता वाले राज्यों में कम होगी लेकिन तमिलनाडु और पूर्वोत्तर के जिलों में बहु विवाह का डेटा बताता है कि बात सिर्फ साक्षरता भर की ही नहीं है।