रक्षा क्षेत्र में भारत ने ऊंची उड़ान भरी है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन विगत कई महीनों से कई पुरानी और नए अत्याधुनिक मिसाइलों का परिक्षण करता चला आ रहा है। कई मिसाइलों को हवाई जहाजों से तों कई मिसाइलों को नाव-सैनिक जहाजों से तों कई मिसाइलों को जमीन से हवा की ओर सफलतापूर्वक उड़ाते हुए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन आज पूरे विश्व में मानो नील का पत्थर मिसाइल के क्षेत्रों में बन चुका है। इसी के तहत आज भारतीय नौसेना नें नौसैनिक anti-ship मिसाइल का सफल परिक्षण किया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी है उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना ने बुधवार को सीकिंग हेलीकॉप्टर से पहली स्वदेशी रूप से विकसित नौसैनिक anti-ship मिसाइल का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक किया। परीक्षण ओडिशा के बालासोर में एकीकरण परीक्षण रेंज आइटीआर चांदीपुर में आयोजित किया गया था।
दुश्मन देशों कें होश उड़ा देगी Navy की ये एंट्री-शिप मिसाइल !
DRDO यानी (डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) के सूत्रों ने कहा है कि अभियान नें अपने सभी उद्देश को पूरा किया भारतीय नौसेना के लिए विकसित की गई हवा से प्रक्षेपित पहली स्वदेशी जहाज रोधी मिसाइल प्रणाली है। मिसाइल पहले से निर्धारित अपने मार्ग पर आगे बढ़ी और पूरी सटीकता के साथ लक्ष्य तक पहुंच गई DRDO ने सभी प्रणालियों कें प्रदर्शन को संतोषजनक बताते हुए कहा कि परीक्षण रेंज में सेंसर लगाए गए थे और मिसाइल कें मार्ग की निगरानी की गई थी। नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा यह विशेष मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और भारतीय नौसेना की स्वदेशी करण की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। आपको बताते चलें कि भारतीय नौसेना विशेष रुप से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खुद को मजबूत कर रही है। पिछले महीने भारतीय नौसेना और अंडमान-निकोबार कमान नें इसे संयुक्त रुप से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल एक एंटी शिप संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। इसके बाद बीते मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना के दो फ्रंटलाइन वॉर शिप को लांच किया जिसमें INS सूरत और INS उदयगिरी शामिल है।