उत्तर भारत के कई के राज्यों में मार्च और अप्रैल में ही मई जून जैसी गर्मी (Monsoon 2022) पड़ रही है. इस भीषण गर्मी पड़ने के कई कारण और नुकसान है. उत्तर भारत के राज्यों में बारिश हुए कई महीने का समय हो गया है. इन राज्य में लगातार तपीस बढ़ने के कारण आम जनता के साथ – साथ कई फसलो पर भी इसका बुरा असर हो रहा है.
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तापमान बढ़ने से गेहूं की पैदावार पर असर
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इस प्रतिकूल मौसम (Monsoon 2022) की वजह से सबसे ज्यादा प्रभाव गेहूं और लहसुन की फसल पर हो रहा है. जहां एक तरफ सर्दी के मौसम में जब गेहूं की बुआई हुई थी तब खेतों में अधिक नमी थी जिसके कारण गेहूं की बालियां छोटी हो गई थी. तो वही दुसरी तरफ समय से पहले गर्मी पड़ने से गेहूं के फसल की बालियां (दाने) सूखने लगी है. जिन फसलो की बालियां नहीं सूखती तो उन बालियों के दाने पतले हो जाते है. इन सभी प्रभावों के चलते गेहूं की पैदावार पर बुरा असर होता है.
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तापमान में बढ़ोतरी के मुख्य कारण
मौसम विभाग (Monsoon 2022) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ला-नीना प्रभाव के चलते उत्तर भारत में इस बार मार्च और अप्रैल में ही प्रचंड गर्मी पड़नी शुरू हो गई है. उन्होंने कहा की इस प्रचंड गर्मी के दो कारण नजर आ रहे हैं. लांगटर्म में यह वर्ष भी ला-नीना वर्ष है. ऐसे में इन वर्षो में सर्दी बहुत पड़ती है और मार्च में ही तापमान सामान्य से 8-10 डिग्री तक बढ़ जाता है. प्रचंड गर्मी का दूसरा कारण यह है कि अभी उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन का प्रभाव है.
Monsoon 2022 पर क्या है वैज्ञानिकों की राय ?
कई मौसम वैज्ञानिक (Monsoon 2022) तापमान में बढ़ोतरी को एंटी सॉयक्लोन प्रभाव से भी जोड़कर देख रहे है. आमतौर मार्च में अक्सर हवाओं के ऊपरी हिस्से की स्थितियों में बदलाव होना शुरू हो जाता है. ये बदलाव हवाओं के बहाव पर असर ड़ालते है. हवाओं के बहाव में बदलाव होने से गर्म हवाएं तेजी से नीचे की तरफ जाने लगती है और इससे गर्मी बढ़ने लगती है. इस बार समुंद्रीय इलाकों में अनपेक्षित तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
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हवाओं के रुख बढ़ा रहे है तापमान
इस बढ़ोतरी की वजह वैज्ञानिक मेडन जूलियन ऑसिलेशन यानि एमजेओ से भी जोड़कर देख रहे है. एमजेओ खासकर समुंद्र से बहने वाली धीमी हवाओं को रोकने का काम करता है. जब ये हवाएं रूकने लगती है और समुंद्र के पानी पर सूर्य की किरणें पड़ती है तो आसपास के इलाके का तापमान (Monsoon 2022) बढ़ने लगता है. अगर ये परिस्थिति लम्बे समय तक बनी रहती है तो तापमान में तेजी से बढ़ोतरी होती है.
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