देश में जबसे कोरोना के मामले बढ़े है या यु कहे जबसे पीएम मोदी बंगाल चुनाव से फुर्शत में आये है तबसे वो लगातार बैठकों पे बैठक किये जा रहे है। देश में मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करते है तो कभी डीएम के साथ। कुछ दिन पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पीएम मोदी कि मीटिंग पर बयान देते हुए कहा था कि वो सिर्फ अपने मन कि बात करते है हमारे मन कि बात नहीं सुनते।
अब एक बार फिर बंगाल कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पीएम मोदी कि मीटिंग को लेके सवाल उठाया है। बताते चले कि पीएम मोदी ने 54 जिलाधिकारियों और राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर रहे थे जिसमे ममता बनर्जी को बोलने का मौका नहीं मिला तो वो भड़क गयी। ममता ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमारा अपमान किया जा रहा है हमें बस कठपुतली कि तरह से बैठा दिया जाता है बोलने का मौका नहीं दिया जाता है। ममता ने बताया कि सिर्फ मैं नहीं बाकी अन्य कई राज्यों के मुख्यमंत्री अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे है।
ममता बनर्जी ने आगे पीएम मोदी पर आरोप लगते हुए आगे कहा कि हमें आधिकारिक तौर से आमंत्रित किया जाता है और उसमे बाद बोलने नहीं दियाजाता। प्रधानमंत्री डरे हुए है इसलिए वो मुख्यमंत्रियों कि बात नहीं सुनना चाहते है। पीएम मोदी सिर्फ अपने पंसद के जिलाअधिकारियो से ही बात करते है। सिर्फ कुछ बीजेपी शासित राज्यों के ही जिलाधिकारियों को बोलने का मौका दिया गया। यह एक कैजुअल मीटिंग थी और इस बैठक के दौरान कोरोना संकट ,ब्लैक फंगस दवाइयों इन सब पर चर्चा ही नहीं हुई। ममता ने कहा कि मैंने सोचा था कि पीएम से वैक्सीन देने कि आग्रह करुँगी लेकिन मुझे मौका नहीं दिया।
अब सवाल ये है क्या सच में पीएम ऐसा आकर रहे है ? क्या सच में सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों के ही लोगो को बोलने दिया जाता है ? अगर ऐसा है तो सरकार को अपना पक्ष रखना बेहद जरूरी है क्योकि इसके वजह से पुरे देश में एक गलत विचार धारा बन रही है।