राजीव गांधी का नाम खेल रत्न पुरस्कार से हटा, हॉकी के जादूगर MAJOR DHYAN CHAND के नाम से अब दिया जाएगा खेल रत्न पुरस्कार।

ओलंपिक में भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम जिस तरह से अपना प्रदर्शन की वो काबिले तारीफ थी। हालांकि दोनों टीमें गोल्ड जीतने में कामयाब नहीं रहे, लेकिन भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता, जबकि महिला टीम को कोई भी पदक हाथ नहीं लगा। पुरुष हॉकी टीम को मेडल जीतने के बाद देश में एक खुशनुमा माहौल बना था। अब इसी बीच केंद्र सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार से राजिव गाँधी का नाम हटा कर MAJOR DHYAN CHAND के नाम से करने का फैसला किया है।

MAJOR DHYAN CHAND

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मोदी सरकार के मुताबिक खेल रत्न पुरस्कार अब पूर्व प्रधानमंत्री के नाम से नहीं बल्कि हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम से दिया जाएगा। इसकी जानकारी खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दी।

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प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि “देश को गर्वित कर देने वाले फलों के बीच अनेक देश वासियों का यह आगरा सामने आया कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यान चंद्र जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।”

हॉकी के जादूगर MAJOR DHYAN CHAND का क्या है इतिहास?

मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है। मेजर ध्यानचंद का हॉकी के लिए एक अविश्वसनीय योगदान रहा है। मेजर ध्यानचंद ने अपने आखरी ओलंपिक जो बर्लिन में 1936 में खेला गया था उसमें कुल 13 गोल दागे थे। मेजर ध्यानचंद एम्सटर्डम, लॉस एंजेलिस और बर्लिन में हुए ओलंपिक को मिलाकर कुल 39 गोल किए थे। मेजर ध्यानचंद की हॉकी में बादशाहत को उनके ये आंकड़े बयान करते हैं।

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MAJOR DHYAN CHAND का जन्म 29 अगस्त को हुआ था जिसको भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ध्यानचंद के जन्मदिन के अवसर पर हर साल खेल में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को खेल का सर्वोच्च सम्मान खेल रत्न के साथ अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया जाता है। इन अवार्डों की शुरुआत 1991-92 में हुई थी। MAJOR DHYAN CHAND ने भारत को लगातार तीन ओलंपिक 1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन में स्वर्ण पदक दिलाया था।

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