उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते सभी स्कूल और विद्यालयों को बंद रखा गया था। सभी ने अपनी परीक्षाएं ऑनलाइन मोड़ से करवाई। कक्षाओं का संचालन भी ऑनलाइन मोड से ही हुआ है। इसलिए योगी सरकार ने फैसला लेते हुए बोला की इस बार के नए सत्र में कोई भी स्कूल फीस की बढ़ोत्तरी नहीं कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश में उपमुख्यमंत्री और प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने ये जानकारी देते हुए कहा की प्रदेश के सभी स्कूलो में भौतिक कक्षाओं का संचालन बंद रहा है। कोरोना महामारी के चलते लोग के आर्थिक रूप से बहुत प्रभावित है ऐसे में अगर फीस बधाई जाती है तो ये गरीब परिवारों के ऊपर दोहरी मार जैसी होगी। इसलिए हमने ये संतुलित निर्णय लिया है की इस बार फीस बढोत्तर नहीं की जायेगी और इससे अभिभावकों को अतिरिक्त भार नहीं उठाना पड़ेगा।
डॉक्टर दिनेश शर्मा ने बताया कि विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों और कर्मियों को नियमित सुप से वेतन दिया जाता रहेगा। अगर किसी विद्यालयों के द्वारा नियमों का उलंघन करते हुए पाया जाता है तो उसके ऊपर कार्यवाही होगी। अगर कोई विद्यालय अभिभावक को परेशान करता है तो अभिभावक अपने जिले में गठित शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत कर सकते है और इस नियमों का पालन करवाने कि जिम्मेदारी जिला विद्यालय निरीक्षक कि होगी।
आगे उपमुख्यमंत्री ने बताया कि अगर कोई छात्र या छात्रा अथवा उसके परिवार का कोई सदस्य कोरोना से संक्रमित है और फीस देने में दिक्कत हो रही है तो संबंधित छात्र या छात्रा लिखित रूप में अनुरोध पत्र के अनुसार उस माह कि फीस अगले माह में किस्तों के रूप में जमा कर सकते है।विद्यालय बंद रहने कि स्थिति में कोई भी विद्यालय परिवाह शुल्क नहीं ले सकते , अगर कोई अभिभावक 3 महीने का अग्रिम शुल्क देने में असमर्थ है तो उससे मासिक शुल्क ही लिया जाएगा ऐसे में कोई स्कूल अभिभावक पर दबाव नहीं बना सकते है । इसीतरह विज्ञान प्रयोगशाला , पुस्तकालय , कंप्यूटर,वार्षिक फंक्शन , जैसी गतिविधियों के शुल्क कोई भी स्कूल अभिभावक से नहीं वसूल सकते है। आगरा ऐसा करते है तो ये सरकार ने नियमों का उलंघन माना जाएगा और कार्यवाही कि जा सकती है।