आपदा में अवसर : कोरोना काल में भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धनराशि रिकॉर्ड 3 गुना बढ़ा।

हम सभी जानते हैं कि भारतीयों का काला धन स्विट्जरलैंड के अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग संस्थानों के द्वारा जमा किया जाता है। कोरोना महामारी के शुरुआत होने के बाद से भारतीय लोगों ने और कुछ फर्मों द्वारा स्विट्जरलैंड (स्विस बैंकों) के विभिन्न बैंकों में जमा धनराशि में जबरदस्त इजाफा हुआ है।

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एक साल में तीन गुना हुई जमा धनराशि

साल 2020 में यह करीब 20,700 करोड़ रुपए (2.25 अरब स्विस फ्रैंक) पहुंच गया है और ये पिछले 13 साल में सबसे ऊंचे स्तर पर है। अगर हम बात करें साल 2019 की तो भारतीयों का जमा धन स्विस बैंकों में सिर्फ 6,625 करोड रुपए ही था। अगर हम 2019 और 2020 के आंकड़ों का मिलान करें तो हमें यह पता चलेगा कि स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा एक साल में जमा धनराशि रिकॉर्ड रुप से 3 गुना ज्यादा बढ़ गई है। अगर इसके पिछले 2 सालों के आंकड़ों की बात करें तो स्विस बैंकों में जमा धन घट रहा था।

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भारतीय लोगों और फर्म ने यह धन स्विस बैंकों के खातों में सीधे या भारत स्थित उनके ब्रांच और अन्य वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से जमा करा रहे हैं। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में ग्राहक जमा घटा लेकिन प्रतिभूतियों और अन्य साधनों में निवेश के द्वारा इन बैंकों के भारतीयों की रकम में तेजी से इजाफा हुआ। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार एनआरआई की जमा रकम या उन भारतीयों की जमा रकम इसमें शामिल नहीं है जो किसी तीसरे देश की संस्था या कंपनी के द्वारा रकम जमा कराते हैं।

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क्या ये जमा धनराशि कालाधन है ?

पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह भी जरूरी नहीं है कि यह सभी काला धन हो। पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्विट्जरलैंड सरकार काले धन के बारे में अलग से जानकारी देती है। आपको बता दें अब तक की सबसे रिकॉर्ड जमा साल 2006 में था जिसमें 6.5 अरब स्विस फ्रैंक हुई थी लेकिन उसके बाद इसमें ज्यादातर वर्षों में गिरावट देखी गई थी। सन 2018 में हुए एक समझौते के अनुसार स्विट्जरलैंड और भारत एक दूसरे को टैक्स के मामलों में जुड़ी जानकारियां आपस में साझा करते हैं जिसके तहत 2018 में पहली बार स्विट्जरलैंड ने भारतीय नागरिकों की विस्तृत जानकारी साझा की थी।

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