सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी CBSE ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार के दिन सुनवाई के दौरान बताया कि वह कक्षा 10वीं और 12वीं के इंप्रूवमेंट एक्जाम को 25 अगस्त से 15 सितंबर तक आयोजित करेगा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CBSE की तरफ से यह भी बताया गया कि इस परीक्षा का रिजल्ट 30 सितंबर तक घोषित कर दिया जाएगा।
वही CISCE की परीक्षा को भी 16 अगस्त से आयोजित कराया जाएगा जिसका परीक्षा परिणाम 20 सितंबर तक जारी किया जाएगा। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने CBSE और CISCE द्वारा पेश किए गए हलफनामे में प्रस्तुत की गई सभी जानकारियों और कार्यक्रम की मंजूरी दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने CBSE के वकील को लगाई थी फटकार
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CBSE की तरफ से दायर किए गए इससे पहले हलफनामा में कुछ भी स्पष्ट नहीं लिखा गया था और नहीं तारीखों का उल्लेख था जिस पर जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कड़ा आपत्ति जताया था। CBSE के वकील को दोपहर 2:00 बजे तक तारीखों के साथ एक्जाम शेड्यूल पेश करने की बात कही। इसके बाद बोर्ड ने 2:00 बजे तक तारीखों के साथ पूरा शेड्यूल जस्टिस खानविलकर और संजीव खन्ना के सामने प्रस्तुत की। इसके बाद बेंच ने इन तारीखों पर एग्जाम कराने की मंजूरी दे दी।
CBSE इंप्रूवमेंट/कम्पार्टमेंट/निजी/पत्राचार परीक्षा के शेड्यूल की पूरी जानकारी
दिनांक | शेड्यूल |
10 अगस्त | रजिस्ट्रेशन पोर्टल ओपन होगा, परीक्षा की डेटशीट जारी होगी |
25 अगस्त | परीक्षाएं शुरू होगी |
15 सितंबर | परीक्षा समाप्त होगी |
30 सितंबर | रिजल्ट जारी होने की तारीख घोषित होगी |
परीक्षा के नाम पर लिए गए थे 1500 रूपये
वकील आरपी गुप्ता ने कहा था कि स्टूडेंट से एग्जाम फीस के नाम पर ₹1500 लिए गए थे लेकिन सीबीएससी के पास तमाम खर्चे होने के बाद भी 200 करोड़ रुपए बचे। फीस रिफंड न करने की स्थिति में बचे हुए रकम का इस्तेमाल गरीब छात्रों के लिए किया जाना चाहिए। हालांकि वकील आरपी गुप्ता की इस दलील को बेंच ने स्वीकार करने से मना कर दिया है।
कम मार्क्स को लेकर भी हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद बहुत से छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन होने के बाद भी मार्क्स कम आए थे। जिस पर याचिकाकर्ता के वकील आरपी गुप्ता ने बताया कि सीबीएसई बोर्ड के इस मूल्यांकन क्राइटेरिया की वजह से बहुत से छात्रों के मार्क्स कमाए हैं। आंतरिक मूल्यांकन में स्टूडेंट्स के पिछले 3 सालों के मार्क्स की औसत के आधार पर नंबर तय किए गए हैं।वकील आरपी गुप्ता ने कहा कि स्टूडेंट्स इस बात की जानकारी लेना चाहते हैं कि स्कूल के पूर्व छात्रों की वजह से उनके कितने अंक काटे गए। वकील गुप्ता की इस दलील पर जस्टिस ने स्वीकार करते हुए सीबीएससी बोर्ड को आदेश दिया कि स्कूलों को यह जानकारी जल्द से जल्द मुहैया करा दी जाए।